Yoga and allopathy: ऐसे समय में जब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन योग गुरु रामदेव की एलोपैथी पर उनकी टिप्पणियों को लेकर आमने-सामने है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल डॉक्टर्स डे पर डॉक्टर्स की उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए सराहना करते हुए डॉक्टरों से साक्ष्यों पर आधारित अध्ययनों के माध्यम से योग को वैश्विक मंच पर ले जाने का आग्रह किया. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रही है योग आशा की किरण बना हुआ है. उन्होंने कहा कि जब डॉक्टर योग के बारे में बात करते हैं तो पूरी दुनिया इसे और गंभीरता से लेती है. उन्होंने डॉक्टरों से पूछा कि क्या आईएमए इन अध्ययनों को मिशन मोड में आगे बढ़ा सकता है और क्या इन अध्ययनों को अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किया जा सकता है?
जबकि योग, दुनिया को भारत का उपहार है. ऐसे में देश के 5,000 साल पुराने ज्ञान की रक्षा और उसे बढ़ावा देना वास्तव में जरूरी है. आधुनिक भारतीय योग के पोस्टर बॉय, बाबा रामदेव की हालिया टिप्पणी का कोई कारण नहीं है. रामदेव की निंदा नहीं की जानी चाहिए, जिन्होंने यह दावा करते हुए विवाद छेड़ दिया कि उन्हें कोविड -19 वैक्सीन की जरूरत नहीं है, क्योंकि उन्हें योग और आयुर्वेद की दोहरी सुरक्षा है. अब उन्हें वैक्सीन न लगवाने को बढ़ावा देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में खींचा गया है.
वास्तव में योग और एलोपैथी एक-दूसरे के विरोधी नहीं बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं. दोनों के बीच श्रेष्ठता की बहस केवल लोगों के हित के लिए प्रतिकूल होगी. खासकर ऐसे समय में जब लोग अभूतपूर्व महामारी से निपट रहे हैं. वहीं आयुर्वेद का प्रचार राजनीति नहीं विज्ञान पर आधारित होना चाहिए. साक्ष्य-आधारित आयुर्वेदिक दर्शन, अभ्यास और उपचार केवल आधुनिक चिकित्सा को और समृद्ध करेंगे.
जबकि समग्र चिकित्सा को सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल के भविष्य के रूप में देखा जा रहा है. दोनों प्रणालियों को सह-अस्तित्व में होना चाहिए और अगर जरूरत हो तो सहयोग भी करना चाहिए, लेकिन जो ज्यादा महत्वपूर्ण है वह यह है कि दोनों को एक अच्छा संतुलन बनाने के लिए मिलना चाहिए.
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