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अंतरदेशीय ई-कॉमर्स पर सीमा शुल्‍क छूट पर मामला उलझा

भारत इस छूट को खत्‍म कराना चाहता है. ई-कॉमर्स कंपनियों को यह रियायत 1998 से मिल रही है

  • अंशुमान तिवारी
  • Last Updated : February 29, 2024, 16:47 IST
Image: News on AIR
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क्‍या दुनिया की बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रांसमि‍शन पर सीमा शुल्‍क से छूट खत्‍म करने का मामला उलझ गया है? इस छूट को इस साल समाप्‍त किया जाना है. भारत का मानना है कि इस छूट को जारी नहीं रखा जाना चाहिए. दुनिया के देशों को सीमा शुल्‍क लगाने की छूट मिलनी चाहिए.

छूट का यह प्रावधान पेचीदा है. ई-कॉमर्स कंपनियों को यह रियायत 1998 से मिल रही है. WTO में सहमति नहीं तो बनी तो यह इस साल यह समाप्‍त हो जाएगी. इसल‍िए विकसित देश इसे बढ़ाने की जददोजहद में लगे हैं. सूत्रों का कहना है कि विकासशील देशों को सहमत कराने के लिए विकस‍ित देशों को कुछ ठोस कदम सामने रखना होगा नहीं तो इसे जारी रखना मुश्‍क‍िल होगा.

भारत शुरुआत से इस छूट को समाप्‍त करने के पक्ष में है. भारत डिजिटल उद्योग में निवेश आमंत्रित करना चाहता है. माना जा रहा है अगर इस पर ज्‍यादा सख्‍ती दिखाई गई तो भारत में निवेश की संभावनाओं पर असर हो सकता है, क्‍योंकि कंपनियों को सीमा शुल्‍क लगने का डर होगा. सूत्रों का कहना है कि भारत ने कहा है कि वह सीमा शुल्‍क लगाने नहीं जा रहा है मगर सीमा शुल्‍क लगाने की छूट मिलना जाना जरुरी है.

भारत ने वर्क‍िंग ग्रुप की बैठक के के बाद बयान जारी किया. जिसमें कहा गया है कि इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रांस्मिशन पर 1998 से लागू जीरो कस्टम ड्यूटी पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है, ताकि विकासशील और कम विकसित देशों के हितों की रक्षा की जा सके.

वार्ताओं में भारत का रुख तीखा रहा. भारत ने कहा कि विकसित देशों की कुछ चुनिंदा कंपनियों का ई कॉमर्स बाजार पर कब्‍जा है. विकसित और विकासशील देशों के बीच एक गहरी डिजिटल खाई है, जिस वजह से विकासशील देश ई-कॉमर्स में पिछड़े हुए हैं. डब्‍लूटीओ डिजिटल इंडस्ट्रिलाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए WTO को विकासशील सदस्य देशों के लिए नीतिगत तौर पर सभी तरह के विकल्प उपलब्ध कराने चाहिए.

Published - February 29, 2024, 04:47 IST

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