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WTO : अमेरिका अड़ा, विवाद सुलझाने को लेकर विवाद बढ़ा

भारत ने कहा विवाद नहीं सुलझे तो डब्‍लूटीओ पर कौन भरोसा करेगा

  • अंशुमान तिवारी
  • Last Updated : February 28, 2024, 17:53 IST
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अबूधाबी WTO विवाद सुलझाने की व्‍यवस्‍था का एक बेहद महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा चार साल से काम ही नहीं कर रहा है. यह हैरतंगेज है कि इसकी बड़ी वजह अमेरिका है, जो यूं तो मुक्त बाजार का समर्थक है मगर विवाद निस्‍तारण ढांचे में चार साल से अमेरिकी जज नियुक्‍त नहीं किये गए हैं .जिससे अपीलीय व्‍यवस्‍था ही रुक गई है. इस वक्‍त WTO में करीब 30 महत्‍वपूर्ण अपीलें लंबित हैं जिन पर निर्णय होना बाकी है.

अबूधाबी के कन्‍वेशन सेंटर में आज ड‍िसप्‍यूट सेटलमेंट पर चर्चा थी. इसके बाद भारत का खासा तीखा बयान सामने आया. भारत ने कहा कि विवाद सुलझाने की व्‍यवस्‍था, सुधारों में सबसे बड़ी वरीयता पर होनी चाहिए. यदि अपील की व्‍यवस्‍था ही नहीं चली तो WTO की साख खतरे में पड़ती जाएगी. भारत ने कहा कि 2022 में जेनेवा की बैठक में तय हुआ था कि 2024 तक सभी सदस्‍य देशों को औपचारिक और व्‍यवस्‍थि‍त अपील प्रणाली व विवाद निस्‍तारण ढांचा मिलेगा तो फिर इसे रोका क्‍यों जा रहा है.

सूत्रों की मानें तो अबूधाबी में विवाद निस्‍तारण तंत्र को दुरुस्‍त करने पर सहमति बनने की उम्‍मीद कम ही दिखती है.

भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों के नुमाइंदे भी इस पर क्षुब्‍ध दिखे कि अमेरिका के कारण व्‍यापार संगठन का सबसे जरुरी हिस्‍सा विकलांग हो गया है. WTO सर्वोच्‍च न्‍याय‍िक संस्‍था के न चलने से अब विवाद निचले स्‍तर पर अनौपचारिक तौर पर सुलझाये जा रहे हैं.

भारत ने विवाद सुलझाने की व्‍यवस्‍था में सुधार के लिए तीन सूत्रीय एजेंडा पेश किया है. जेनेवा बैठक की घोषणा के अनुसान इस अनौपचारि‍क व्‍यवस्‍था को औपचारिक किया जाना अनिवार्य है. इस नई व्‍यवस्‍था में विकासशील और छोटे देशों को पर्याप्‍त स्‍थान और सुवि‍धा मिलनी चाहिए, ताकि यह व्‍यवस्‍था पारदर्शी और न्‍यायपूर्ण हो सके.

Published - February 28, 2024, 05:18 IST

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