मंडी में कपास की नई फसल पहुंचने में अभी एक महीना है लेकिन अभी से भाव आसमान पर है. किसानों के लिहाज से देखें तो नई फसल का अच्छा दाम मिल सकता है लेकिन उन यार्न और कपड़ा मिलों का क्या होगा जिनके कारोबार पर महंगा कपास भारी पड़ रहा है. पिछले साल अगस्त में जितना कपास खरीदने के लिए 59,000 रुपए लग रहे थे. इस साल उसके लिए 61 फीसद ज्यादा भाव देना पड़ रहा है.
विदेशी बाजार में कपास के भाव आसमान पर हैं. इस वजह से इंपोर्ट की गुंजाइश भी कम है. ऊपर से कपास के सबसे बड़े निर्यातक अमेरिका में इस साल उपज 28 फीसद घटने की आशंका है. अमेरिकी कृषि विभाग का मानना है कि वहां पर 35 फीसद फसल बहुत खराब स्थिति में है और इस वजह से उत्पादन घटकर 27 लाख टन रह सकता है. पिछले साल अमेरिका में 38 लाख टन से ज्यादा कपास उत्पादन हुआ था.
उत्पादन घटने की स्थिति में निर्यात में भारी गिरावट की आशंका है. अमेरिकी कृषि विभाग ने निर्यात में 18 फीसद कमी का अनुमान लगाया है. कपास की नई फसल में अभी समय है और भाव आसमान पर है. बढ़ती लागत और सीमित सप्लाई देख यार्न मिलों ने उत्पादन और घटाने का फैसला किया है. सीमित सप्लाई की वजह से पहले ही उत्पादन कम है. तमिलनाडु स्पिनिंग मिल एसोसिएशन ने अपनी सभी सदस्य मिलों को यार्न उत्पादन घटाने के लिए कहा है.
हालांकि कपास की डिमांड, सप्लाई और भाव की मौजूदा स्थिति किसानों के लिए फायदेमंद लग रही है. नई फसल आने पर किसानों को अच्छा भाव मिल सकता है. इस साल खेती भी पिछले साल से ज्यादा है. 18 अगस्त तक देशभर में 124.27 लाख हेक्टेयर में खेती दर्ज की गई है. पिछले साल इस दौरान 116.51 लाख हेक्टेयर में खेती हुई थी.
फिलहाल नई फसल आने पर कपास की सप्लाई में सुधार होने की उम्मीद है और यार्न मिलों के लिए पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध हो सकता है लेकिन भाव कम होगा इसकी गारंटी नहीं और मिलें अगर बढ़ी हुई लागत पर यार्न तैयार करेंगी तो कपड़ों की महंगाई बनकर उसका बोझ ग्राहकों के जेब पर ही पड़ेगा.