गेहूं निर्यात पर उठे सवालों का अभी जवाब मिला भी नहीं और इधर कपास निर्यात ने टेंशन बढ़ा दी. कपास की कीमतें जो आसमान पर हैं. गुजरात की राजकोट मंडी में बुधवार को प्रति क्विंटल कपास के लिए 13,405 रुपए की बोली लगी. एक साल पहले भाव 7,000 रुपए के करीब था. किसानों के नजरिए से देखें तो फायदे का सौदा है. पिछले साल से भाव दोगुना जो है, लेकिन किसान का यह फायदा एक तरफ कपड़ों की महंगाई बनकर कंज्यूमर की जेब पर भारी पड़ रहा है तो दूसरी तरफ किसान और कंज्यूमर के बीच की कड़ी … यानि टैक्सटाइल इंडस्ट्री भी इस बढ़े हुए भाव से परेशान है.
कपड़ों की मांग घटने का डर
एक तरफ कच्चा माल महंगा हो गया है. दूसरी तरफ कपड़ों की मांग घटने का डर सता रहा है. टैक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए कच्चे माल की लागत सालभर में दोगुनी हो गई है. पिछले साल मई में एक कैंडी रूई के लिए 48,000 रुपए देने पड़ते थे और इस साल भाव 95,000 रुपए तक पहुंच गया है. इस साल दुनियाभर में कपास का भाव बढ़ा है ऊपर से क्रूड ऑयल महंगा होने से सिंथेटिक फाइबर की कीमतें भी आसमान पर हैं.
कपास की उपज कम होने का अनुमान
घरेलू स्तर पर इस साल कपास की उपज को लेकर पहले जो अनुमान था. अब फसल उससे भी कम आंकी गई है. पहले देश में 343 लाख गांठ कपास पैदा होने का अनुमान था, लेकिन अब उसे घटाकर 335 लाख गांठ कर दिया गया है.
टेक्सटाइल उद्योग की चिंता बढ़ी
कोरोना के लॉकडाउन खत्म होने के बाद इस साल देश में कपास की मांग भी अधिक अनुमानित है. पिछले साल 335 लाख गांठ कपास की खपत हुई थी और इस साल 340 लाख गांठ का अनुमान है. पिछले साल का बचा हुआ लगभग 75 लाख गांठ कपास मिला लिया जाए तो घरेलू खपत के लिए पर्याप्त सप्लाई बनती है. लेकिन कपास के एक्सपोर्ट ने टेक्सटाइल उद्योग की चिंता बढ़ा रखी है. अक्टूबर में नई फसल आने की शुरुआत से लेकर मार्च अंत तक … यानि 6 महीने में देश से 35 लाख गांठ कपास का निर्यात हो चुका है.
कपास के निर्यात पर रोक लगाने की मांग
इंडस्ट्री को चिंता है कि एक्सपोर्ट और बढ़ा तो घरेलू जरूरत के लिए स्टॉक नहीं बचेगा. यही वजह है कि इंडस्ट्री अब सरकार से कपास के निर्यात पर रोक लगाने की मांग कर रही है. हालांकि सरकार ने निर्यात रोकने पर तो अभी कोई फैसला नहीं किया है, लेकिन घरेलू स्तर पर सप्लाई बढ़ाने के लिए पिछले महीने आयात पर ड्यूटी खत्म कर दी थी. ड्यूटी खत्म करने से पहले 6 महीने में लगभग 6 लाख गांठ कपास का आयात हुआ भी था.
इंडस्ट्री की बढ़ेगी परेशानी
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कपास का भाव आसमान पर है और बढ़े हुए भाव पर आयात बढ़ने की उम्मीद कम ही है. यही वजह है कि इंडस्ट्री निर्यात पर रोक की मांग कर रही है. सरकार ने समय रहते अगर समस्या का हल नहीं निकाला तो इंडस्ट्री की परेशानी तो बढ़ेगी ही … साथ में कपड़ों की महंगाई और बढ़ जाएगी.