कोर महंगाई में गिरावट के बावजूद चिकित्सा और ट्यूशन खर्च ऊंचा बना रहने की संभावना है. आंकड़ों के मुताबिक 2023-24 की पहली छमाही में स्वास्थ्य और शिक्षा की महंगाई उच्च स्तर पर बनी हुई है, जबकि कोर महंगाई सितंबर में साढ़े 3 साल के निचले स्तर 4.6 फीसद पर आ गई है. विशेषज्ञों के मुताबिक वेतन में बढ़ोतरी की वजह से सर्विस सेक्टर की महंगाई बढ़ी है और आने वाले महीनों में कमी आने की संभावना नहीं है.
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में स्वास्थ्य और शिक्षा की महंगाई वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही के स्तर की तुलना में औसतन ज्यादा रही है. मजबूत शहरी मांग और औपचारिक क्षेत्र में वेतन में बढ़ोतरी से इन आंकड़ों को सपोर्ट मिला है.
औसत कर्मचारी लागत में बढ़ोतरी
उन्होंने कहा कि अप्रैल-जून में सूचीबद्ध कंपनियों की औसत कर्मचारी लागत ज्यादा रही है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही की तुलना में 14 फीसद बढ़ गई है. 2022-23 की जून तिमाही में सूचीबद्ध कंपनियों की औसत कर्मचारी लागत सालाना आधार पर 17.4 फीसद बढ़ी थी. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में शिक्षा क्षेत्र में औसत महंगाई 6.2 फीसद, जबकि स्वास्थ्य क्षेत्र में औसत महंगाई 5.6 फीसद थी. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के सीनियर एनालिस्ट पारस जसराई के मुताबिक हाल के दिनों में महंगाई दर बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है और यह स्थिर बनी हुई है.