ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) को ई-कॉमर्स का यूपीआई बताया जा रहा है. हालांकि अब इससे जुड़ी दिक्कतें भी सामने आने लगी हैं. कई वजहों से उद्योग विशेषज्ञ और दूसरे जानकारों में इसकी सफलता को लेकर शंकाएं हैं.
ओएनडीसी एक ओपन सोर्स नेटवर्क है जिसे सरकार ने डेवलप किया है. पिछले कुछ समय में ओएनडीसी का इस्तेमाल जोर पकड़ रहा है. लोग पेटीएम (Paytm) और पिनकोड (Pincode) जैसे ऐप्स के जरिए ONDC का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऑनलाइन पेमेंट सर्विस प्लेटफॉर्म फोनपे (PhonePe) ने हाल ही में पिनकोड ऐप लॉन्च किया था. ये ऐप इस समय केवल बेंगलुरु में सेवा दे रहा है. इन ऐप के जरिए लोग ग्रोसरी, फूड, होम एंड डेकोर सहित चीजों की सस्ते में खरीदारी कर रहे हैं. खासकर फूड आइटम ऑर्डर कर रहे हैं जो स्विगी (Swiggy) और जोमैटो (Zomato) जैसे ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप्स की तुलना में सस्ता पड़ रहा है.
इस समय करीब 98 फीसद ट्रांजैक्शन यानी ऑर्डर फूड और ग्रोसरी स्पेस से जुड़े हैं. फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी जेफ्रीज (Jefferies) की एक रिपोर्ट के मुताबिक ओएनडीसी इनेबल्ड प्लेटफॉर्म यानी सेलर और बायर ऐप, ओएनडीसी से मिलने वाले इन्सेंटिव बंद होने पर ज्यादा डिस्काउंट या कम डिलीवरी चार्ज की सुविधा देना बंद कर सकते हैं. ऐसा होने पर उन्हें स्विगी (Swiggy) या जोमैटो (Zomato) पर जो बढ़त इस समय मिली है, वे उसे गंवा सकते हैं.
इस समय ओएनडीसी पर कस्टमर के हर ऑर्डर पर 50 रुपए प्रति ऑर्डर का सीधा डिस्काउंट मिल रहा है लेकिन इसकी भी एक सीमा तय है. एक यूजर एक दिन में तीन ऑर्डर पर ही यह डिस्काउंट हासिल कर सकता है और हर बायर ऐप हर दिन 2,000 तक ही ऑर्डर पर यह डिस्काउंट दे सकता है. जेफ्रीज के विश्लेषकों का यह भी कहना है कि हर सेलर ऐप के लिए हर दिन की कुल 2.25 लाख रुपए की डिलीवरी सब्सिडी भी आगे जारी नहीं रखी जा सकती.
हालांकि ओएनडीसी के सीईओ ने भी कुछ दिन पहले कहा था कि ओएनडीसी पर इस समय जो भी डिस्काउंट मिल रहा है, वो शुरुआती चरण में इस नेटवर्क को बढ़ावा देने के लिए है और ये हमेशा जारी नहीं रहेगा. ऐसे में सवाल उठता है कि डिस्काउंट का सिलसिला खत्म होने पर क्या ओएनडीसी के विकास की रफ्तार बनी रहेगी?