बैंक ने एटी1 (AT1) बॉन्ड 'सुपर फिक्स्ड डिपॉजिट' के नाम से बेचे थे. सेबी (SEBI) की साल 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से ज्यादातर निवेशक यस बैंक के ग्राहक ही थे. इस दौरान बैंक ने कुल 8,415 करोड़ रुपए के एटी1 बॉन्ड्स बेचे गए. निवेशकों को बताया कि इस बॉन्ड्स को खरीदने पर उन्हें जिंदगी एफडी से ज्यादा रिटर्न मिलेगा.
निजी क्षेत्र के यस बैंक (YES Bank) की गाड़ी पटरी पर आती नहीं दिख रही है. वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही के नतीजों के बाद सोमवार को के शेयर में तीन फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली. दरअसल चौथी तिमाही में बैंक के मुनाफे में साल दर साल 45% की कमी हुई. बैंक का मुनाफा 367.46 करोड़ रुपए से घटकर 202.43 करोड़ रुपए रहा. बाजार को 232-405 करोड़ रुपए के दायरे में मुनाफा रहने का अनुमान था. हालांकि तिमाही दर तिमाही मुनाफा 51.52 करोड़ की तुलना में 293 फीसदी बढ़ा है.
कितनी बढ़ी बैंक की कुल आय?
बैंक के साल दर साल आधार पर मुनाफे में कमी प्रोविजनिंग में बढ़त के चलते दर्ज की गई है. चौथी तिमाही में बैंक ने 618 करोड़ रुपए की प्रोविजनिंग जो कि पिछले साल की चौथी तिमाही के मुकाबले दो गुना से भी ज्यादा है. तिमाही के दौरान बैंक की कुल आय 5829.22 करोड़ रुपए से बढ़कर 7,298.51 करोड़ रुपए रही. यानी की 25 फीसदी की वृद्धि हुई है. वहीं NII यानी शुद्ध ब्याज आय 15.7 फीसद बढ़कर 2,105 करोड़ रुपए पर रही. हालांकि एसेट क्वालिटी यानी ग्रॉस NPA तिमाही दर तिमाही 2.02% से बढ़कर 2.17% पर रहे.
कब और कैसे लगा झटका ?
बैंक ने एटी1 (AT1) बॉन्ड ‘सुपर फिक्स्ड डिपॉजिट’ के नाम से बेचे थे. सेबी (SEBI) की साल 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से ज्यादातर निवेशक यस बैंक के ग्राहक ही थे. इस दौरान बैंक ने कुल 8,415 करोड़ रुपए के एटी1 बॉन्ड्स बेचे गए. निवेशकों को बताया कि इस बॉन्ड्स को खरीदने पर उन्हें जिंदगी एफडी से ज्यादा रिटर्न मिलेगा. इस लालच में आकर निवेशकों ने इस बॉण्ड में जमकर पैसा लगाया. निजी क्षेत्र के इस बैंक में सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन मार्च 2020 में इसकी माली हालत पतली हो गई. इसके बाद यस बैंक को बचाने के लिए रिजर्व बैंक (RBI) आगे आया और उसने बैंक के बोर्ड को भंग करके अपने नियंत्रण में लिया. इस घटना के बाद से बैंक की माली हालत सुधर नहीं पा रही है. इसका असर बैंक वित्तीय नतीजों पर भी देखने को मिल रहा है.