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घर बनाने से पहले नक्शा पास कराना क्यों है जरूरी?

घर बनवाने के ल‍िए आपको अथॉरिटी रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट या स्ट्रक्चरल इंजीनियर की जरूरत होगी.

  • पवन पाण्डे
  • Last Updated : August 16, 2023, 11:46 IST
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यूपी के मिर्जापुर का एक घर इन दिनों चर्चा में है. क्योंकि इस घर का डिजाइन कुछ वैसा ही है जैसा एशिया के सबसे अमीर इंसान मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया का है. मिर्जापुर के सियाराम पटेल पर सुर्खियों में छाने का ऐसा खुमार चढ़ा कि बिना परमिशन और पिलर के 14 मंजिला इमारत तान दी. आसपास रहने वालों को डर है कि कहीं आंधी-तूफान में ये घर ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर गिर न पड़े. सवाल ये है कि क्या घर बनाने के लिए किसी परमिशन की जरूरत होती है? अगर हां तो ये परमिशन कहां से मिलती है? घर बनाते समय किन बातों का ध्यान रखें?

घर के लिए जमीन देश में जमीन दो तरह की हैं. कृषि योग्य और गैर कृषि योग्य यानी एग्रीकल्चर और नॉन एग्रीकल्चर. इसलिए घर के लिए जमीन खरीदने से पहले ये पता करें कि आप जो जमीन खरीद रहे हैं वह किस श्रेणी में है. हालांक‍ि नॉन-एग्रीकल्चर लैंड का मतलब ये नहीं है कि आप इस पर घर बना ही सकते हैं. दरअसल, नॉन एग्रीकल्चर में कई कैटेगरी हैं. जैसे रेजिडेंशियल, कमर्शियल, वेयर हाउसिंग, आईटी पार्क आदि. अगर जमीन नॉन एग्रीकल्चर रेजिडेंशियल है तभी घर बन सकता है.

एग्रीकल्चर मतलब खेती-किसानी की जमीन पर घर नहीं बनाया जा सकता है. इस तरह की जमीन पर घर बनाने के लिए पहले लैंड यूज का कन्वर्जन करवाना पड़ता है. कन्वर्जन तभी मुमकिन है जब सरकार या स्थानीय निकाय इसकी इजाजत दे. बिना कन्वर्जन खेती की जमीन पर बना घर कभी भी गिराया जा सकता है. कन्वर्जन के लिए आपको चार्ज देना पड़ता है.

क्या होता है एफएआर? घर बनवाने से पहले प्लॉट का फ्लोर एरिया रेश्यो (FAR) देखना होता है. एफएआर से पता चलता है कि किसी घर का टोटल कवर एरिया कितना होगा. इसमें अलग-अलग फ्लोर का एरिया भी शामिल है. सरकार या स्थानीय निकाय फ्लोर एरिया रेश्यो तय करते हैं. दो राज्यों और दो शहरों में ही नहीं, दो अलग-अलग इलाकों में भी एफएआर अलग-अलग हो सकता है. कहीं-कहीं पर एफएआर की जगह फ्लोर स्पेस इंडेक्स यानी एफएसआई देखने को मिलता है.

उदाहरण के लिए, अगर प्लॉट का एरिया 1,000 स्क्वॉयर फुट है और फ्लोर एरिया रेश्यो 2.00 है. इसका मतलब है कि सारे फ्लोर मिलाकर ज्यादा से ज्यादा 2000 स्क्वॉयर फीट कवर एरिया बना सकते हैं. 2,000 स्क्वॉयर फुट कवर एरिया का ये मतलब नहीं है कि आप दो फ्लोर 100 फीसदी कवर करके यानी 1,000-1000 स्क्वॉयर फुट के दो फ्लोर बना सकते हैं. क्योंकि इसके अंदर आपको बिल्डिंग कोड में दिए गए दूसरे नियम जैसे सैटबैक, ग्राउंड कवरेज, पार्किंग और हाइट भी फॉलो करने होते हैं.

फ्लोर एरिया रेश्यो प्रतिशत में भी हो सकता है. उदाहरण के लिए 200 प्रतिशत का मतलब फ्लोर एरिया रेश्यो 2.00 से है. हरियाणा बिल्डिंग कोड में रेजिडेंशियल प्लॉट के लिए एफएआर 100 से 220 फीसदी तक है जबकि उत्तर प्रदेश बिल्डिंग बायलॉज के मुताबिक यह 1.25 से लेकर 2.00 तक है.

सैटबैक एरिया प्लॉट और बिल्डिंग के बीच में आगे, पीछे या साइड में कुछ जगह छोड़नी पड़ती है. इसे सैटबैक एरिया कहते हैं. इसी तरह, प्लॉट के ग्राउंड फ्लोर पर कितने एरिया में निर्माण कर सकते हैं. इसके लिए ग्राउंड कवरेज देखना जरूरी है. उदाहरण के लिए, अगर रेजिडेंशियल प्लॉट का एरिया 1000 स्क्वॉयर फुट है और ग्राउंड कवरेज 85 फीसदी है तो ग्राउंड लेवल पर 850 वर्गफुट जगह पर ही घर बनाया जा सकता है. पार्किंग की जगह भी छोड़नी होती है. घर की हाइट यानी ऊंचाई को लेकर भी पाबंदियां हैं. हाई टेंशन लाइन या एयरपोर्ट के आसपास घर बनाने के लिए अलग व्यवस्था है.

कहां से पास होगा नक्शा? ज्यादातर लोगों को इन नियमों का पता नहीं होता है और घर बनवाने लग जाते हैं. घर बनवाने के ल‍िए आपको अथॉरिटी रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट या स्ट्रक्चरल इंजीनियर की जरूरत होगी. वह आपकी जरूरत और सारे नियमों को ध्यान में रखकर घर का नक्शा तैयार करता है. इसमें स्ट्रक्चरल और फ्लोर प्लान समेत कई चीजें होती हैं. जैसे घर का कवर एरिया, पिलर, बीम, पार्किंग स्पेस, कमरे की संख्या और किचन, लंबाई-चौड़ाई, छत की ऊंचाई जैसी चीजें शामिल हैं. इस नक्शे को स्थानीय नगर निकाय से पास करवाना होता है जिसके लिए फीस चुकानी पड़ती है. कई राज्यों में बिल्डिंग प्लान ऑनलाइन अप्रूव कराने की भी व्यवस्था है.

Published - August 16, 2023, 06:33 IST

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