इस बार कई लाइफस्टाइल, कपड़े और फुटवियर ब्रांड्स ने समय से पहले ही एंड ऑफ़ सीज़न सेल शुरू कर दी है. इसकी वजह साफ है क्योंकि जुलाई में नया स्टॉक आने वाला है और खुदरा विक्रेता उससे पहले इन्वेंट्री को समाप्त करना चाहते हैं. इसके लिए ब्रांड्स सीज़न के बीच में ही फ्लैश यानी भारी डिस्काउंट की पेशकश कर रहे हैं. अमूमन एंड ऑफ़ सीज़न सेल जून के अंत तक शुरू होती है.
रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा कि खर्च में कमी आने की वजह से मार्च और अप्रैल में समग्र विकास दर घटकर 6 फीसदी रह गई. यह 14 महीनों में सबसे धीमी बिक्री है. हालांकि खुदरा विक्रेता कुछ हद तक आश्चर्य में हैं क्योंकि इस साल मुद्रास्फीति में गिरावट के बावजूद लोगों ने खरीदारी से दूरी बनाई. वहीं पिछले साल महामारी के बाद ज़रूरी सामान पर ही लोगों ने खर्च किया था और इस तरह बढ़ती महंगाई का मुकाबला किया था.
अंग्रेजी अखबार ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक एबीएफआरएल के प्रबंध निदेशक आशीष धारीवाल ने कहा, “इस तिमाही में हमारी समग्र विकास दर काफी प्रभावित हुई है और मंदी का प्रभाव हमारे कारोबार के सभी क्षेत्रों में पूरी तरह से दिखाई दे रहा है. इसकी वजह से इन्वेंट्री यानी माल काफी बढ़ गया है. साथ ही लोन का बोझ भी बढ़ा है.” उन्होंने कहा कि पहले बाजार के निचले स्तर पर ही मंदी थी. अब महंगे सामान पर भी मंदी का असर देखा जा रहा है.
मॉल्स के अनुसार कुछ सेगमेंट इसलिए भी छूट दे रहे हैं क्योंकि खुदरा विक्रेताओं को क्वालिटी यानी गुणवत्ता को नियंत्रित करना पड़ता है और जुलाई तक बीआईएस लाइसेंस हासिल करने के लिए टेस्टिंग लैब भी बनानी पड़ती हैं. दिल्ली एनसीआर और पंजाब में एक दर्जन से अधिक मॉल संचालित करने वाले यूनिटी ग्रुप के उपाध्यक्ष रविंदर चौधरी कहते हैं कि जूते के खुदरा विक्रेता भी बीआईएस की अनिवार्य आवश्यकता से पहले इन्वेंट्री को खाली करना चाहते हैं. इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि ऑनलाइन बाज़ार को मात देकर अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए भी खुदरा विक्रेता छूट दे रहे हैं.