इस साल मानसून सीजन में बरसात की कमी की आशंका के बावजूद केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने फसल वर्ष 2023-24 के लिए रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा है. कृषि मंत्रालय ने अगले वर्ष के दौरान 33.2 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा है जो इस साल के मुकाबले करीब 3 फीसद अधिक होगा. मौजूदा फसल वर्ष 2022-23 के दौरान देश में 32.35 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है. कृषि मंत्रालय ने मिलिट्स (मोटा अनाज) के उत्पादन को 1.59 करोड़ टन से बढ़ाकर 1.70 करोड़ टन और दलहन उत्पादन को 2.78 करोड़ टन से बढ़ाकर 2.92 करोड़ टन किए जाने का लक्ष्य रखा है. इसके अलावा तिलहन की उपज बढ़ाने का भी लक्ष्य है. सभी तिलहन का कुल उत्पादन 4 करोड़ टन से बढ़ाकर 4.40 करोड़ टन किए जाने का लक्ष्य निर्धारित है.
मौसम विभाग ने क्या जताया अनुमान?
मौसम विभाग का कहना है कि जून-सितंबर के दौरान सामान्य या सामान्य से ज्यादा 49 फीसदी बारिश होने की संभावना है. इस बीच आईएमडी ने अल नीनो की संभावना भी जताई है जो खरीफ सीजन की दूसरी छमाही (अगस्त-सितंबर) पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है. हालांकि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मौसम विज्ञान महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्र ने ये भी कहा कि सभी अल नीनो साल खराब मानसून वाले साल नहीं होते हैं. इसलिए इस बार भी मॉनसून के साथ अल-नीनो का सीधा संबंध नहीं होगा और सामान्य बारिश होगी. वहीं कृषि मंत्रालय ने राज्यों को कम बारिश होने की स्थिति के लिए तैयार रहने और सूखा प्रतिरोधी बीजों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की सलाह दी है.
लक्ष्य मुताबिक उत्पादन का क्या होगा फ़ायदा?
खाद्यान उत्पादन अगर लक्ष्य के मुताबिक रहा तो आधी आबादी की आमदनी त्योहारी सीजन से पहले अच्छी हो सकती है. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और लोगों की खर्च करने की क्षमता भी बढ़ेगी. इससे महंगाई से निपटने में कुछ हद तक राहत मिलेगी.