देश में कोरोना का पहला मामला 27 जनवरी 2020 को केरल में पाया गया था. 20 साल की महिला को तृश्शूर के अस्पताल के आपातकालीन विभाव में भर्ती कराया गया था. तब से अब तक 18 महीने गुजर चुके हैं. कोरोना की दो खतरनाक लहरों का हमने सामना किया है. अब आशंकाएं जताई जा रही हैं कि केरल से ही तीसरी लहर की भी शुरुआत हो सकती है. समय रहते सरकारों को तैयारी कर लेनी चाहिए.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और तमाम एक्सपर्ट्स पहले ही कह चुके हैं कि तीसरी लहर का आना तय है. यह वक्त नहीं है कि तीर्थयात्राओं और धार्मिक कारणों से भीड़ जुटाई जाए. दूसरी लहर जैसा हाल ना हो, इसके लिए बेहद जरूरी है कि सरकारें अभी से सतर्कता के साथ पाबंदियां लागू करना शुरू कर दें.
स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान देने की जरूरत है. दूसरी लहर के दौरान रहीं ऑक्सिजन जैसी चुनौतियों से फिर से नहीं गुजरा जा सकता. मौजूदा अस्पतालों के अतिरिक्त भी मरीजों के लिए सुविधाएं होनी चाहिए, जहां जरूरत पड़ने पर उन्हें सेवाएं दी जा सकें.
केंद्र को इस समय वैक्सीनेशन को प्राथमिकता पर रखते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों के टीकाकरण पर जोर देना चाहिए. 21 जून को रेकॉर्ड 85 लाख पहुंचने के बाद से रोजाना लगने वाली डोज की संख्या में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है.
इसके अलावा जनता को अपने स्तर पर भी तैयार रहने की जरूरत है. वायरस के खिलाफ हर पल चौकन्ना रहना होगा. सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन जैसे नियमों का पूरी तरह पालन करें. मास्क को रोज की आदत में शामिल कर लें. भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें.
तीसरी लहर के आने से रोजगार और आय, दोनों को फिर से गहरी चोट लगना तय है. छोटे कारोबारियों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है. ऐसे में जरूरत में काम आने लायक पैसे जुटा लेने चाहिए. पैसों की फिजूलखर्ची से बचें. इस गलतफहमी में ना रहें कि दूसरी लहर जा चुकी है और महामारी का खतरा टल चुका है.