1889 और 1881 के बीच टॉय ट्रेन की हुई थी शुरुआत
यह ट्रेन इतनी मशहूर है कि दूर-दूर से सैलानी इसकी सवारी करने के लिए यहां पहुंचते हैं. कहते हैं कि दार्जिलिंग आकर जिसने इस टॉय ट्रेन की सवारी नहीं की उसने कुछ भी नहीं किया.
इस टॉय ट्रेन को 1889 और 1881 के बीच ब्रिटिश काल में बनाया गया था. बता दें न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग के बीच की दूरी 88 किलोमीटर है और इस टॉय ट्रेन का ट्रैक बेहद सर्पीला ट्रैक है.
ट्रेन की वजह से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा से कुछ समय पहले दार्जिलिंग में टॉय ट्रेन सेवाओं को फिर से शुरू किया गया है. इससे टॉय ट्रेन में पर्यटन टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी उद्योग को फायदा होने की काफी उम्मीद है. इससे इकॉनोमिक एक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा.
लॉकडाउन के बाद से बंद थी यह टॉय ट्रेन सेवा
हिमालयन रेलवे को यूनेस्को द्वारा नीलगिरि पर्वतीय रेल और कालका-शिमला रेलवे के साथ भारत की पर्वतीय रेल के रूप में विश्व धरोहर के रूप में खास पहचान मिली है. बता दें, इस रेलवे का मुख्यालय कुर्सियांग शहर में स्थित है.
बीते साल देश में लॉकडाउन लगने के बाद से ही टॉय ट्रेन को बंद कर दिया गया था, लेकिन अब इसके शुरू होते ही यह फिर से पर्यटकों के साथ गुलजार हो उठी है.
कोरोना के चलते दार्जीलिंग के लोगों के रोजगार ठप पड़े थे, जिन्हें एकबार फिर इस टॉय ट्रेन के शुरू होने से काफी मदद मिली है. दरअसल, यहां के लोगों का अधिकतर रोजगार पर्यटन से ही जुड़ा हुआ है. अब इस स्थिति में सुधार देखने को मिल रहा है.