सरकार ने देश में सभी को बीमा दिलाने के लक्ष्य रखा है. इसे देखते हुए बहुत सी विदेशी कंपनियां इस क्षेत्र में उतरने को तैयार बैठी हैं. ऐसे में सरकार बीमा की पैठ बढ़ाने के लिए बीमा नियमों में बदलाव का विचार कर रही है.
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण ( IRDAI) के चेयरमैन देबाशीष पांडा ने ब्लूमबर्ग को बताया, “बीमा कानूनों में संशोधन के प्रस्तावों में तर्कसंगत पूंजी आवश्यकताएं, समग्र पंजीकरण, बिचौलियों के लिए एक बार पंजीकरण, बीमाकर्ताओं द्वारा मूल्य वर्धित सेवाएं और अन्य वित्तीय उत्पादों की बिक्री शामिल है.”
मौजूदा नियम देश में विदेशी निवेशकों को बीमा कंपनियों में 74 फ़ीसदी तक हिस्सेदारी रखने की अनुमति देता है. अमेरिकन इंटरनेशनल ग्रुप और प्रूडेंशियल फाइनेंशियल जैसी वैश्विक कंपनियां पहले से ही अपने स्थानीय भागीदारों के माध्यम से भारत में मौजूद हैं. पांडा के अनुसार चार नई फर्मों ने पिछले साल देश के बीमा क्षेत्र में प्रवेश किया है और कुछ और नामांकन के विभिन्न चरणों में हैं, जो कारोबारी माहौल के अनुकूल होने का संकेत है. पांडा ने कहा, “बढ़ता मध्यम वर्ग, युवा आबादी, बढ़ती प्रयोज्य आय और टेक्नोलॉजी का व्यापक उपयोग कई संभावनाएं प्रदान करता है,”
अभी 140 करोड़ जनसंख्या वाले देश में बीमा की पैठ 5 फ़ीसदी से भी कम है. इस क्षेत्र में बहुत संभवानाएं हैं. भारत में बीमा कंपनियों के प्रबंधन के तहत संपत्ति 60 लाख करोड़ रुपए को पार कर गई है. ये पोलैंड और स्वीडन सहित कई देशों की अर्थव्यवस्था से भी बड़ी है. मार्च 2023 को खत्म हुए वित्त वर्ष में इस क्षेत्र में 13.7 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है.