ऊंची पेंशन का लाभ लेने के लिए कुल मिलाकर 1.16 फीसद हिस्सा अब कर्मचारी की ओर से ही जाएगा. श्रम मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर रहा है कि अब यह रकम नियोक्ता की ओर से किए जाने वाले अंशदान में काटी जाएगी.
संगठित क्षेत्र में काम करने वाले जो कर्मचारी ऊंची पेंशन का विकल्प चुन रहे हैं, उन्हें कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) में 1.16 फीसद ज्यादा कंट्रीब्यूशन करना होगा. इस खाते में सरकार की ओर से किया जाने वाला अंशदान सिर्फ 15,000 रुपए तक के वेतन पर ही किया जाएगा. ऊंची पेंशन का लाभ लेने के लिए कुल मिलाकर 1.16 फीसद हिस्सा अब कर्मचारी की ओर से ही जाएगा. श्रम मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर रहा है कि अब यह रकम नियोक्ता की ओर से किए जाने वाले अंशदान में काटी जाएगी.
क्या है नियम?
जो कंपनियां EPFO के दायरे में आती हैं उनमें कर्मचारी की बेसिक सेलरी का 12 फीसद हिस्सा पीएफ खाते में जाता है. इतना ही पैसा कंपनी की ओर से जमा किया जाता है. लेकिन यह पूरा पैसा पीएफ में नहीं जाता. इस 12 फीसद में से 8.33 फीसद हिस्सा EPS में जमा होता है. इस खाते में 1.16 फीसद कंट्रीब्यूशन सरकार भी करती है. यह कंट्रीब्यूशन 15,000 रुपए तक की बेसिक सैलरी पर किया जाता है. इस हिसाब से कर्मचारी के पेंशन खाते में प्रतिमाह 1250 रुपए जमा होते हैं. इसके अलावा 174 रुपए सरकार जमा करती है. श्रम मंत्रालय के आदेश के बाद ऊंची पेंशन के लिए अब 1.16 फीसद हिस्सा नियोक्ता के हिस्से में से जमा होगा. आजकल निजी क्षेत्र में कॉस्ट टू कंपनी (सीटीसी) के तहत पैकेज का चलन है. इसमें दोनों ओर के पीएफ की कटौती सीटीसी में से ही की जाती है. जाहिर है कर्मचारी के पीएफ खाते में कम रकम जमा होगी.
कब तक चुन सकते हैं विकल्प?
जो कर्मचारी 1 सितम्बर, 2014 से पहले EPFO के सदस्य रहे हैं, वो चाहें तो अपनी पूरी बेसिक सैलरी पर पेंशन स्कीम में कंट्रीब्यूशन कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें संस्थान की सहमति के साथ ज्वाइंट डिक्लेरेशन फार्म भरकर जमा करना होगा. ऐसे कर्मचारी 26 जून, 2023 तक हायर पेंशन का विकल्प चुन सकते हैं. इन खातों में सरकार का कंट्रीब्यूशन अधिकतम 174 रुपए ही रहेगा. बाकी की रकम कर्मचारी की जेब से ही जाएगी.