डिजिटल इंडिया के तहत एक बड़ी मुहिम के तौर पर केंद्र सरकार ने ‘प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना’ लॉन्च की है. ये स्कीम खासतौर पर ग्रामीणों को लाभ पहुंचाने के नजरिए से उतारी गई है.
क्या है स्वामित्व स्कीम?
जमीन के स्वामित्व को लेकर 24 अप्रैल 2020 को पंचायती राज दिवस के दिन ”प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना” लॉन्च हुई थी. इस स्कीम के तहत ग्रामीणों को अपनी संपत्ति पर अधिकार जमीन और मकान के कागजात का शासकीय दस्तावेज स्वामित्व कार्ड के रूप में दिया जा रहा है. इस दस्तावेज के माध्यम से वे अपनी संपत्ति की खरीद-फरोख्त कर सकते हैं. साथ ही इसके जरिए वे बैंकों से आसानी से कर्ज भी हासिल कर सकते हैं.
मध्य प्रदेश में हो रहा सबसे अच्छा कार्य
इस योजना से प्रधानमंत्री मोदी ने अपेक्षा की थी कि देश के शामिल राज्य इसमें बेहतर कार्य करें और सुदूर ग्राम्य जीवन तक उनके लिए विभिन्न केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाएं प्रमुखता से पहुंचाई जा सकें. इसमें देश के राज्यों के बीच सबसे अच्छा काम योजना को लेकर मध्य प्रदेश में हो रहा है.
राज्य में 1615 गांवों के अधिकार अभिलेख हुए पूर्ण
प्रदेश में ग्रामीण आबादी का सर्वे कर ग्रामीणों को उनकी स्थिति का मालिकाना हक दिलाए जाने के लिए चलाई जा रही इस स्वामित्व योजना के अंतर्गत अधिकार अभिलेख तैयार करने में राज्य आज देश में प्रथम स्थान पर है. योजना में अभी तक प्रदेश के 1,615 गांवों के अधिकार अभिलेख पूर्ण किए जा चुके हैं, जिसमें कि मध्य प्रदेश के हरदा जिले में तो शत-प्रतिशत गांवों के अधिकार अभिलेख पूर्ण किए जा चुके हैं.
केंद्र ने कहा, अन्य राज्य भी करें मध्य प्रदेश का अनुसरण
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि योजना के अंतर्गत ड्रोन द्वारा ग्रामीण आबादी का सर्वेक्षण कर केवल उन संपत्ति धारकों के अधिकार अभिलेख तैयार किए जा रहे हैं, जो मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन ) के लागू होने की दिनांक 25 सितम्बर 2018 को उस आबादी भूमि का उपयोग कर रहे थे अथवा जिन्हें इस दिनांक के बाद आबादी भूमि भूखंड का आवंटन किया गया है.
उनका कहना है कि भारत सरकार द्वारा बेस्ट प्रैक्टिस के तहत अन्य राज्यों को भी मध्यप्रदेश की तर्ज पर स्वामित्व अभियान के क्रियान्वयन की प्रक्रिया अपनाने का आज सुझाव दिया गया है. यह हमारे लिए गौरव की बात है. मध्यप्रदेश की प्रक्रिया को समझने के लिए अन्य राज्य के अधिकारियों द्वारा मध्य प्रदेश का दौरा भी किया गया. वहीं, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी उन्हें प्रशिक्षण भी अब तक दिया जा चुका है और आगे भी यह जारी रहेगा. वे कहते हैं कि मैंने योजना के अंतर्गत सर्वे कार्य शीघ्र पूर्ण कर ग्रामीण आबादी को अधिकार अभिलेख का वितरण प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं, जिस पर अभी काम हो रहा है.
इस साल शामिल किए गए योजना में देश के 16 राज्य
इस योजना को पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर देश के 9 राज्य जो कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान तथा आंध्र प्रदेश हैं में शुरू किया गया था. ”प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना” के अंतर्गत अब तक लगभग 3 लाख लोगों के प्रॉपर्टी कार्ड बांटे जा चुके हैं. इस योजना के माध्यम से गांव के 90 फीसदी से ज्यादा विवादों का निपटारा हो रहा है. इस साल इस योजना के अंतर्गत 16 राज्यों को शामिल किया गया है.
योजना का बजट है 913.43 करोड़ रुपये
केंद्र सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के लिए पंचायती राज मंत्रालय को 913.43 करोड़ रुपये का बजट दिया है. यह बजट पिछले वर्ष की तुलना में 32 फीसदी ज्यादा है. इस बजट में से 593 करोड़ रुपये राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के लिए आवंटित किए गए हैं व योजना के लिए 200 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. इस योजना का बजट पिछले वर्ष 79.65 करोड़ रुपये था. जो कि अब बढ़कर 200 करोड़ हो गया है.
बनाई गई हैं इसके लिए 130 ड्रोन टीमें
इसके साथ ही विभिन्न राज्यों में करीब 130 ड्रोन टीम तैनात की गई हैं. ये ड्रोन टीम भारतीय सर्वेक्षण विभाग के द्वारा तैनात की गई हैं. इस योजना के अंतर्गत पीएम मोदी ने एक नए ई-ग्राम स्वराज पोर्टल की शुरुआत की है. इस पोर्टल पर ग्राम समाज से जुड़ी सभी समस्याओं की जानकारी दी गई है और इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी भूमि की जानकारी ऑनलाइन देख सकते हैं. बताना होगा कि पंचायती राज मंत्रालय ने ई ग्राम स्वराज पोर्टल की शुरुआत की है.
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