देश के चार मेट्रो शहरों में लगातार 17वें दिन भी पेट्रोल और डीजल के दाम (Petrol And Diesel Price) नहीं बढ़े हैं.पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्रालय की इकाई पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेेल के मुताबिक, पेट्रोल और डीजल की कीमतें (Petrol And Diesel Price) सबसे कम दिल्ली में हैं जबकि सबसे ज्यादा कीमतें मुंबई में हैं.दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 91.17 रुपये प्रति लीटर और 81.47 रुपये प्रति लीटर रही हैं. मुंबई में दाम 97.57 रुपये और 88.60 रुपये हैं.
कोलकाता और चेन्नई में पेट्रोल की कीमतें क्रमशः 91.35 रुपये 93.11 रुपये पर हैं, जबकि इन्हीं शहरों में डीजल की कीमतें क्रमशः 93.11 रुपये और 86.45 रुपये पर हैं. दोनों ही शहर ऐसे राज्यों से आते हैं जहां पर चुनाव हो रहे हैं.
हालांकि, सरकार इस बात पर कायम है कि वह पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कोई दखल नहीं देती है, लेकिन बड़े तौर पर ऐसा माना जाता है कि पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी में हो रहे विधानसभा चुनावों के चलते ईंधन की कीमतों पर लगाम लगाई गई है.
तेल की कीमतों में तेजी चुनावों का एक मुद्दा बना हुआ है. सभी पार्टियां केंद्र की बीजेपी सरकार पर तेल की कीमतों में तेजी का आरोप लगा रही हैं. कुछ राज्यों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये के मनोवैज्ञानिक स्तर को भी पार कर चुकी हैं. दूसरी ओर, डीजल की कीमतें भी बढ़कर 80 रुपये के पार चली गई हैं और इसके चलते कमोडिटीज की कीमतों में भी तेजी आई है. यहां तक कि कुछ जगहों पर ये 90 रुपये से भी ऊपर चली गई हैं. विपक्ष इस मसले पर केंद्र सरकार को बड़े तौर पर घेरने की कोशिश कर रहा है.
2018 में कर्नाटक असेंबली चुनावों के दौरान भी तेल मार्केटिंग कंपनियों ने 24 अप्रैल से 13 मई तक 19 दिनों के लिए तेल की कीमतों को स्थिर रखा था. चुनाव होने के 48 घंटे के भीतर ही तेल की कीमतों में फिर से तेजी आने लगी थी.
सोमवार को वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नीचे लाने के लिए केंद्र और राज्य दोनों को ही टैक्स घटाने पर विचार करना चाहिए.
उन्होंने कहा, “केंद्र पेट्रोल और डीजल पर टैक्स घटाने पर विचार करने के लिए तैयार है, राज्यों को भी इस बारे में सोचना चाहिए.”
ठाकुर ने कहा कि मार्च 2020 में क्रूड के दाम करीब 19 रुपये प्रति बैरल थे. अब ये दाम बढ़कर 65 डॉलर प्रति बैरल पर चले गए हैं.
फरवरी में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास दोनों ने ही कहा था कि केंद्र और राज्य दोनों को ही आपस में बात करनी चाहिए ताकि डीजल और पेट्रोल पर टैक्स को घटाया जा सके.
गुजरे कुछ हफ्तों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति डीजल के पार जाने के साथ ही मेघालय, असम, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और नागालैंड की सरकारों ने पेट्रोल और डीजल पर टैक्स घटाएं हैं और इस तरह के आम लोगों को कुछ राहत देने की कोशिश की है.
मेघालय ने तेल पर वैट को 31.62 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी कर दिया है. राजस्थान में पेट्रोल के दाम 100 रुपये के पार जाने के बाद अशोक गहलोत सरकार ने टैक्स को 38 फीसदी से घटाकर 36 फीसदी कर दिया है.
असम में सरकार के टैक्स कम करने से पेट्रोल और डीजल दोनों के दाम 5 रुपये प्रति लीटर घट गए हैं.
बंगाल में सरकार ने दोनों तरह के तेल पर टैक्स में 1 रुपये की कटौती की है.
नागालैंड में पेट्रोल पर टैक्स को 29.80 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया गया है, जबकि डीजल पर टैक्स को 17.50 फीसदी से घटाकर 16.50 फीसदी कर दिया गया है.
हालांकि, केंद्र ने पेट्रोल और डीजल पर वसूली जाने वाली एक्साइज में कोई कटौती नहीं की है.
पेट्रोल के खुदरा दाम में केंद्रीय एक्साइज ड्यूटी की हिस्सेदारी 37 से 38 फीसदी बैठती है, जबकि डीजल पर यह टैक्स करीब 39 फीसदी है.
इससे पहले केंद्रीय पेट्रोलियम मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोल और डीजल पर लिए जा रहे टैक्स को सही ठहराया था. उन्होंने तर्क दिया था कि सरकार ने महामारी के दौरान विकास के कामों पर ज्यादा पैसा खर्च किया है और इससे और ज्यादा नौकरिियां पैदा होंगी.
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