कोरोना महामारी के बाद अब ग्रामीण बाजारों में फास्ट मूविंग कंज़्यूमर गुड्स (एफएमसीजी- रोजमर्रा के सामान) सेक्टर में हालत बदलते नजर आ रहे हैं. कोरोना के बाद से ग्रामीण बाजारों में ब्यूटी, हेल्थ और हाइजीन उत्पादों की बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है, जबकि इन उत्पादों की पहुंच ग्रामीण इलाकों में बहुत कम थी. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार मार्केट रिसर्चर कंटार की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के बाद इन सब उत्पादों के मामले में ग्रामीण बाजार और शहरी बाजार दोनों में लगभग बराबर में बिक्री हो रही है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में हैंड सैनिटाइजर की बिक्री 4.26 करोड़ और शहरों में यही बिक्री 4.44 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. यानी शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 40.1 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 22.3 प्रतिशत है. कंटार के अनुसार ग्रामीण बाजारों में खपत का एक अलग तरीका है. यहां बिक्री शहरी बाजारों से बिलकुल अलग है, शहरी बाजारों में हैंड वॉश ज्यादा बिकता है. ग्रामीण बाजार में हैंड सैनिटाइजर ने हैंड वॉश लिक्विड को पीछे छोड़ दिया है.
रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण बाजारों में हैंड वॉश की पहुंच 18.7% जबकि शहरी बाजारों में इसकी पहुंच 55.4% है. शहरी इलाकों में हैंड सैनिटाइजर का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है. इसकी लोगों तक पहुंच लगभग 40.1% है. इसी तरह शौचालय साबुन और त्वचा क्रीम जैसे सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल वाले उत्पादों ने पिछले दो वर्षों के दौरान ग्रामीण बाजारों को ज्यादा आकर्षित किया है. इस साल ग्रामीण इलाकों में व्यक्तिगत और घरेलू स्वच्छता वाले उत्पादों की मांग अधिक रही है, जबकि शहरी क्षेत्रों में इनकी बिक्री में कुछ कमी देखी गई है.
कंटार के अनुसार बर्तन क्लीनर, टॉयलेट क्लीनर, हैंड सोप और हैंड सैनिटाइजर जैसे उत्पादों में वृद्धि हुई है. कुछ साल पहले की ही बात है कि स्वच्छता श्रेणियों के ब्रांड ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षिक अभियान चला रहे थे, जिसका उद्देश्य लोगों को सफाई और व्यक्तिगत देखभाल की मूल बातें सिखाना था. कंतार ने कहा कि कई एफएमसीजी उत्पाद अभी भी ग्रामीणों से ज्यादा शहरों में बिकते हैं. जैसे टूथपेस्ट, टैल्कम पाउडर, मक्खन, पनीर, कीटनाशक, बासमती चावल और इंस्टेंट नूडल्स जैसे कुछ उत्पाद का ग्रामीण बाजार में जबरदस्त वृद्धि देखी जा रही है.
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