मंडियों में कपास का भाव घटना भले ही शुरू हो गया हो लेकिन कपड़ों की महंगाई कम होने के बजाय बढ़ ही रही है. मई में कपड़ों की रिटेल महंगाई 8.53 फीसद थी जो जून में 9.19 फीसद दर्ज की गई है. कपास के कम उत्पादन की वजह से सप्लाई की किल्लत है और वही किल्लत कपड़ों की महंगाई बनकर सामने आ रही है.
इस साल देश में 315 लाख गांठ कपास उत्पादन का अनुमान है जो पिछले साल के मुकाबले 38 लाख गांठ कम है. वहीं खपत को देखें तो इंडस्ट्री ने 315 लाख गांठ का ही अनुमान लगाया है. यानि जितना उत्पादन, उतनी ही खपत.
ऊपर से इस साल पैदा हुए कपास में से 38 लाख गांठ का एक्सपोर्ट भी हो गया है. यानी उत्पादन में जितनी कमी, उतना कपास देश से बाहर जा चुका है. यही वजह है कि देश में कपास की किल्लत हो गई है. कपड़ा इंडस्ट्री को अब नई फसल से उम्मीद है लेकिन नई फसल भी सितंबर के बाद ही मंडियों में आएगी और तबतक कपास का बचा हुआ पिछला स्टॉक भी सिकुड़ जाएगा.
पिछले साल अक्टूबर में जब नई कपास फसल मंडियों में आना शुरू हुई थी. तबतक कपास का पुराना स्टॉक करीब 72 लाख गांठ था और इस साल पुराना स्टॉक घटकर 47 लाख गांठ रहने का अनुमान है.
हालांकि इस साल कपास की खेती पिछले साल से आगे चल रही है. 29 जुलाई तक देशभर में 117 लाख हेक्टेयर से ज्यादा में कपास की फसल दर्ज की गई है जबकि पिछले साल इस दौरान 111 लाख हेक्टेयर में फसल लगी थी.
कपास का बढ़ा हुआ रकबा इस साल उपज बढ़ने की उम्मीद बढ़ा रहा है लेकिन यह तभी संभव होगा जब मौसम साथ देगा और आशंका है कि कई जगहों पर खराब मौसम की वजह से फसल पर असर पड़ा है.
गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना और राजस्थान जैसे प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में इस साल सामान्य से बहुत ज्यादा बरसात हुई है. तेलंगाना में तो दोगुनी बरसात हो चुकी है. समय रहते अगर मौसम की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो कपास की फसल को नुकसान पहुंच सकता है और घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए कपास आयात बढ़ाना पड़ेगा.
Published August 3, 2022, 13:11 IST
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