महंगाई के प्रति आपका गुस्सा अगर सिर्फ पेट्रोल डीजल तक सीमित है तो जरा अपने खानपान का हिसाब लगाइए … आटा, रिफाइंड, सब्जी, दूध सब महंगे हो गए. थाली की लागत दिनोंदिन बढ़ रही. दफ्तर के सामने चाय भी 15 रुपए और मठ्ठी 5 रुपए की हो गई. महंगाई के ताजा आंकड़े इन्ही अनुभवों का आधिकारिक दस्तावेज हैं. मार्च में थोक महंगाई बढ़ने की रफ्तार 14.55% दर्ज की गई है यानी पिछले साल थोक बाजार में जो सामान 100 रुपए का मिल रहा आज उसकी कीमत 114 रुपए के पार है.
थोक महंगाई 14 फीसद के पार गेहूं, आलू और तिलहन की पीठ पर चढ़कर पहुंची है. मार्च में गेहूं की थोक महंगाई 14.04 फीसद, आलू की 24.62 फीसद और तिलहन की 22.49 फीसद बढ़ी है. अब आपको समझ आया होगा कि ब्रेड, नमकीन, चिप्स, बिस्किट के पैकेट पहले से हल्के या महंगे क्यों हो गए … बात यहीं तक नहीं है. वनस्पति तेल, स्टील प्रोडक्ट और बेस मेटल्स ने भी महंगाई की आग में घी का काम किया है.
मार्च में वनस्पति तेल 16 फीसद, स्टील उत्पाद 16 फीसद और बेस मेटल्स की महंगाई 25 फीसद की दर से बढ़ी है. बाकी पेट्रोल, डीजल और एलपीजी का महंगा होना तो किसी से छिपा नहीं है. थोक महंगाई कंपनियों और उद्योगों के लिए होती है जो खुदरा महंगाई के रास्ते हम और आप तक पहुंचती है. खुदरा महंगाई भी 7 फीसद के पास है.
कंपनियों 14 फीसद महंगा माल खरीद रहीं और अपने उत्पादों के दाम औसत 7 फीसद बढ़ा रहीं यानी आने वाले दिनों में हमारी आपकी महंगाई और बढ़ेगी… खाने की थाली में इसका असर अनाज और सब्जियों की कीमतों में देखने को मिल सकता है.
ऐसा इसलिए क्योंकि थोक महंगाई में अनाज की महंगाई बढ़ने की दर 8.12 फीसद है, जबकि खुदरा महंगाई में अनाज की कीमतें 4.93 फीसद की दर से बढ़ रही हैं. वहीं सब्जियों की महंगाई थोक बाजार में 19.88 फीसद की दर से बढ़ी है, जबकि खुदरा महंगाई में सब्जियों की महंगाई बढ़ने की दर 11.64 फीसद पर है. इसके अलावा मीट मछली, दालों और तेल की महंगाई दोनों ही मोर्चों पर कमोवेश एक सी है. मोटी बात यह कि महंगाई का दर्द आने वाले दिनों में बढ़ेगा और यह लंबा चलने वाला है.