टेलीकॉम कंपनियों के ऑडिट में अगर यह पता चलता है कि वे ग्राहकों से किसी सेवा के लिए ज्यादा शुल्क वसूल रही है, तो उन्हें 3 महीने के भीतर ग्राहकों को वह शुल्क लौटाना होगा. सोमवार को टेलीकॉम रेग्युलेटर ट्राई की तरफ से टेलीकॉम सेवाओं की क्वॉलिटी को लेकर जारी किए गए दिशा निर्देशों में यह बात कही गई है. नियमों के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियों को अपने मीटरिंग और बिलिंग सिस्टम का साल में कम से कम एक बार ऑडिट कराना होगा.
ट्राई की ओर से जारी नए नियमों के अनुसार प्रत्येक टेलीकॉम कंपनी को प्राधिकरण को वार्षिक ऑडिट शेड्यूल जमा करना होगा, जिसमें ऑडिट किए जाने वाले बिलिंग सिस्टम और लाइसेंस प्राप्त सेवा क्षेत्रों (LSA) का विवरण शामिल होगा. इसका पालन न करने पर 50 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं अगर ग्राहकों से अधिक शुल्क वसूलने का मामला सामने आता है, तो इसे जल्द से जल्द लिखित रूप में सर्विस प्रोवाइडर के ध्यान में लाया जाना चाहिए. प्राधिकरण का कहना है कि इस सिलसिले में किसी भी संचार में एक सप्ताह से अधिक समय नहीं लगना चाहिए.
कंपनी को ओवरचार्जिंग के मामलों के बारे में बताए जाने के बाद, उसे उपभोक्ता को तीन महीने के भीतर राशि वापस करनी होगी. हालांकि, अगर ऑडिटर्स की ओर से ब्योरा साझा करने में देरी होती है तो टेलीकॉम कंपनियों को कोई जुर्माना नहीं देना होगा. पुराने नियमों के तहत अभी तक साल में 4 बार ऑडिट किया जाता था. TRAI के नए नियम से कंपनियों का ऑडिट बोझ लगभग 75 प्रतिशत तक कम हो जाएगा. ऑडिट प्रक्रिया को आसान बनाते हुए TRAI ने इसमें अधिकतम टैरिफ प्लान्स को भी कवर किया है. इससे पहले महज 15 सबसे लोकप्रिय टैरिफ प्लान्स के ऑडिट का प्रावधान था.