एयर इंडिया (Air India) की लंबे समय से चल रही विनिवेश (disinvestment) की प्रक्रिया आखिरकार खत्म हो गई है. जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था, टाटा संस (Tata Sons) इसकी मालिक बन गई है. शुक्रवार को की गई आधिकारिक घोषणा से पता चलता है कि वर्षों से कई मुश्किलों का सामना कर रहे इस आइकॉनिक ब्रांड में आज भी वही दम है.
इस घोषणा की बारीकियों को हम आने वाले दिनों में डीकोड करेंगे. फिलहाल इससे कई सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं. एविएशन सेक्टर के सामने कई अड़चने रही हैं. इस कदम से सेक्टर से जुड़े तमाम स्टेकहोल्डरों को राहत मिलेगी.
सरकार के लिए यह उपभोक्ताओं के लिहाज से बड़ा बदलाव हुआ है. अब तक उसकी विनिवेश की योजनाएं रफ्तार नहीं पकड़ पाई हैं. एयर इंडिया का डिसइन्वेस्टमेंट पूरा होने से उसे अन्य सुस्त पड़ी कंपनियों के रिवाइवल में मदद मिलेगी. एयरलाइन की बिक्री से मिले सबक से सरकार अन्य PSU की समस्याओं का समाधान कर सकेगी.
कर्मचारियों के लिए भी यह अच्छा फैसला साबित हो सकता है. एक साल तक किसी भी एंप्लॉयी की छंटनी नहीं होगी. दूसरे साल से जरूरत पड़ने पर उन्हें VRS का विकल्प दिया जाएगा.
रतन टाटा ने कहा है कि वे एयर इंडिया को फिर से ऊंची उड़ान देने के लिए अथक प्रयास करेंगे. इसी के साथ टाटा ग्रुप को एविएशन सेक्टर को भुनाने का अच्छा मौका भी मिलेगा.
एयर इंडिया की लंबे समय तक कई खामियां गिनाई जाती रही हैं. टाटा के हाथ में कमान आने के बाद उपभोक्ता बेहतर और हाई स्टैंडर्ड सर्विस की उम्मीद कर सकते हैं.