नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाले टाटा ग्रुप और सायरस मिस्त्री के बीच गुजरे कुछ वर्षों से जारी खींचतान के बीच आखिरकार शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया. टाटा संस के चेयरमैन के पद से अचानक हटाए जाने के फैसले के खिलाफ सायरस मिस्त्री ने लंबे वक्त से कानूनी जंग लड़ रहे थे. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के दिसंबर 2019 के उस आदेश को पलट दिया जिसमें ट्राइब्यूनल ने सायरस मिस्त्री को टाटा संस के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन के पद पर बहाल किए जाने का निर्देश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रह्मण्यम की बेंच ने कहा कि टाटा ग्रुप की अपीलों को मंजूरी दी जाती है.
टाटा और मिस्त्री के बीच उस वक्त विवाद शुरू हुआ जब अक्टूबर 2016 में सायरस मिस्त्री को टाटा संस के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन और निदेशक के पद से हटा दिया गया था.
2012 में रतन टाटा के चेयरमैन पद छोड़ने के बाद मिस्त्री को उनके उत्तराधिकारी के तौर पर चुना गया था. लेकिन, महज चार साल में ही उन्हें हटा दिया गया. इस विवाद की जड़ में सायरस मिस्त्री और रतन टाटा के बीच के मतभेद थे. भारतीय कॉरपोरेट जगत में रतन टाटा और सायरस मिस्त्री जैसे हाई प्रोफाइल और सुर्खियों में रहने वाले कम ही विवाद देखने को मिले हैं.
मिस्त्री एक मशहूर कारोबारी घराने शापूरजी पल्लोनजी का प्रतिनिधित्व करते हैं. ये ग्रुप कंस्ट्रक्शन, रियल एस्टेट और इंजीनियरिंग के कामों से जुड़ा हुआ है. इस परिवार की टाटा संस में 18.47 फीसदी हिस्सेदारी है. टाटा संस टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है. टाटा संस की 66 फीसदी हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट के पास है. इस पर रतन टाटा का नियंत्रण है जो कि ग्रुप के पूर्व चेयरमैन हैं.
मिस्त्री को हटाने का विवाद नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) पहुंचा. NCLT ने जुलाई 2018 में टाटा के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि टाटा संस के चेयरमैन पद से मिस्त्री को हटाने में कोई अनियमितता नहीं हुई है.
लेकिन, दिसंबर 2019 में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल ने NCLT के आदेश को पलट दिया. NCLAT ने एक बार फिर से मिस्त्री को टाटा संस का एग्जिक्यूटिव चेयरमैन बना दिया और कहा कि मिस्त्री को टाटा संस के बोर्ड से हटाना अवैध था.
हालांकि, NCLAT ने टाटा समूह को भी राहत दी थी. अपने आदेश में ट्राइब्यूनल ने कहा था कि उसके आदेश को 4 महीने तक लागू नहीं किया जाएगा और टाटा ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की इजाजत दी थी.
टाटा संस के सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के बाद अदालत ने NCLAT के आदेश पर स्टे लगा दिया था. पिछले साल के आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली थी और अपने आदेश को रिजर्व कर लिया था.
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