वैज्ञानिक आधार पर मधुमक्खी पालन दरअसल देश में एकीकृत कृषि प्रणाली के तहत मधुमक्खी पालन के महत्व को ध्यान में रखते हुए सरकार ने तीन साल (2020-21 से 2022-23) के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम – NBHM) को 500 करोड़ रुपये के आवंटन को स्वीकृति दे दी है. इस मिशन (Sweet Revolution) की घोषणा आत्मनिर्भर भारत योजना (Aatmanirbhar Bharat Yojana) के तहत की गई थी. एनबीएचएम का उद्देश्य ‘मीठी क्रांति’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश में वैज्ञानिक आधार पर मधुमक्खी पालन का व्यापक संवर्धन और विकास है, जिसे राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी – NBB) के माध्यम से लागू किया जा रहा है.
मीठी क्रांति (Sweet Revolution) – मधुमक्खी पालन के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण एनबीएचएम (NBHM) का मुख्य उद्देश्य कृषि और गैर कृषि परिवारों के लिए आमदनी और रोजगार के उद्देश्य से मधुमक्खी पालन उद्योग के समग्र विकास को प्रोत्साहन देना, कृषि/ बागवानी उत्पादन को बढ़ाना, और मधुमक्खी पालन के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण है. इसके अलावा, योजना का उद्देश्य मिनी मिशन-1 के अंतर्गत वैज्ञानिक पद्धति से मधुमक्खी पालन, मधुमक्खी पालन के प्रबंधन, मधुमक्खी उत्पादों के बारे में जागरूकता के प्रसार के साथ ही मिनी मिशन-2 के अंतर्गत संग्रहण, प्रसंस्करण, भंडारण, विपणन, मूल्य संवर्धन आदि और मिनी मिशन-3 के अंतर्गत मधुमक्खी पालन में शोध एवं प्रौद्योगिकी उत्पादन हैं. 2020-21 के लिए एनबीएचएम (NBHM) को 150 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है.
एनबीएचएम (NBHM) के अंतर्गत 2,560 लाख रुपये की 11 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है. इसका उद्देश्य किसानों को रॉयल जेली, बी वेनोम, कॉम्ब हनी आदि महंगे उत्पादों के उत्पादन के लिए विशेष मधुमक्खी पालन उपकरणों के वितरण और हाई अल्टीट्यूड हनी के लिए संभावनाएं तलाशना, उत्तर प्रदेश के कन्नौज व हाथरस जिलों में विशेष उत्पादन और वर्ष 2020-21 के दौरान पेट के कैंसर के उपचार में मस्टर्ड शहद के इस्तेमाल के बारे जानकारी देना भी है.
मीठी क्रांति (Sweet Revolution) की मुख्य उपलब्धियां: > दो विश्व स्तरीय अत्याधुनिक शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए स्वीकृति दी गई है, जिनमें से एक एनडीडीबी, आणंद, गुजरात और दूसरी आईआईएचआर, बंगलुरू, कर्नाटक में होगी. आणंद स्थित प्रयोगशाला में एफएसएसएआई द्वारा अधिसूचित सभी मानदंडों के लिए शहद के नमूनों का परीक्षण शुरू कर दिया गया है.
> 16 लाख हनी बी कॉलोनीज के साथ 10,000 मधुमक्खी पालकों/ मधुमक्खी पालन एवं शहद समितियां/ फर्म्स/ कंपनियां एनबीबी में पंजीकृत हो गई हैं. >बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पश्चिम बंगाल राज्यों में मधुमक्खी पालकों/ शहद उत्पादकों के 5 एफपीओ बनाए गए हैं.
> शहद उत्पादन 76,150मीट्रिकटन (2013-14) से बढ़कर 1,20,000 मीट्रिकटन (2019-20) हो गया है, जो 57.58 प्रतिशत बढ़ोतरी है.
> शहद का निर्यात 28,378.42 मीट्रिक टन से बढ़कर 59,536.74 मीट्रिकटन(2019-20) हो गया है, जो 109.80 प्रतिशत बढ़ोतरी है.
> रोल मॉडल के रूप में 16 एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केन्द्रों (आईबीडीसी) की स्थापना की गई है, जिनमें से हरियाणा, दिल्ली, बिहार, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, उत्तराखंड, जम्मू व कश्मीर, तमिलनाडु, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश राज्यों में 1-1 केन्द्र की स्थापना की गई है.
मधुमक्खी पालन एक कृषि आधारित गतिविधि है, जो एकीकृत कृषि व्यवस्था (आईएफएस) के तहत ग्रामीण क्षेत्र में किसान/ भूमिहीन मजदूरों द्वारा की जा रही है. फसलों के परागण में मधुमक्खी पालन खासा उपयोगी है, जिससे कृषि आय में बढ़ोतरी के माध्यम से किसानों/ मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ रही है और शहद व बी वैक्स, बी पोलेन, प्रोपोलिस, रॉयल जेली, बी वेनोम आदि महंगे मधुमक्खी उत्पाद उपलब्ध हो रहे हैं. भारत की विविधतापूर्ण कृषि जलवायु मधुमक्खी पालन/ शहद उत्पादन और शहद के निर्यात के लिए व्यापक संभावनाएं और अवसर उपलब्ध कराती है.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।