Suicide Case: कोरोना महामारी की पहली लहर से जैसे तैसे लोग उबरे ही थे कि दूसरी लहर ने लोगों को बुरी तरह से तोड़ दिया. वह न तो परिवार का ठीक ढंग से पेट भर पाए और न ही कोई व्यवसाय करने के काबिल बचे. ऊपर से मानसिक तनाव लोगों को अंदर ही अंदर तोड़ता गया और एक गलत कदम की ओर ले गया. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि हाल ही में जारी हुए आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे हैं. दरअस आंकड़े बताते हैं कि 2020 में किसानों की अपेक्षा सबसे ज्यादा कारोबारियों ने आत्महत्या की हैं.
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के डेटा के अनुसार, 2020 में कम से कम 11,716 भारतीय कारोबारियों ने आत्महत्या की है, जो कि किसान आत्महत्या के मामलों से अधिक है, किसान आत्महत्या के मामलों की संख्या 10,677 है.
2015 में 100 कारोबारियों और लगभग 144 किसानों ने आत्महत्या की थी. अगर देखा जाए को साल 2015 के बाद से किसानों की आत्महत्या करने के मामले घटे हैं. लेकिन ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 में अगर 100 व्यवसायियों ने आत्महत्या की तो अब 91 किसान आत्महत्या कर रहे हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ ?
मुंबई के मनोचिकित्सक हरीश शेट्टी ने कहा, “व्यावसायिक मुद्दों के कारण इससे भी ज्यादा लोग मारे गए होंगे.” उन्होंने कहा कि अक्सर पारिवारिक मुद्दों जैसे अन्य कारणों से होने वाली मौतों के साथ ऐसे मुद्दों को दबा दिया जाता है.
मनोचिकित्सक और लेखिका अंजलि छाबड़िया के मुताबिक, “लोग अभी भी समस्याओं और चिंताजनक मुद्दों पर चर्चा करने से कतराते हैं. जो कि ऐसा नहीं होना चाहिए, लोगों को दोस्तों और परिवारों से अपनी समस्याओं को साझा करना चाहिए.”
आत्महत्या करने वाले कारोबारियों की संख्या में इजाफा
साल 2020 में आत्महत्या करने वाले कारोबारियों के मामले 29.4 फीसदी बढ़े हैं जबिक साल 2019 में यह दर 13.3 फीसदी थी. हालांकि इस साल किसानों की आत्महत्या के मामले में 3.9 प्रतिशत तक घटे है.
अगर देखा जाए तो कोरोना के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार थोड़ा धीमा रहा है, कई लोगों को अपने ऋण का भुगतान करने में असहजता महसूस हुई. भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की जुलाई 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक छोटे कारोबारियों के लिए तनाव ज्यादा रिकॉर्ड किया गया है.
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