बैंकों में जमा बिना दावे वाली रकम वापस करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सुझाव पर वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद की बैठक में इस बात को लेकर सहमति बनी है. साथ ही नियामकों से इस मुहिम के तहत बिना दावे वाले शेयर, लाभांश, म्यूचुअल फंड, बीमा, आदि संबंधित व्यक्तियों अथवा नामित व्यक्तियों तक पहुंचाने के लिए कहा है. बिना दावे के पड़ी रकम लौटाने में संबंधित लोगों की मदद की जाए.
एफएसडीसी की ये 27वीं बैठक थी. इसमें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास समेत सभी वित्तीय क्षेत्रों के नियामक शामिल हुए. आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि समयबद्ध तरीके से यह काम होना चाहिए, लेकिन जहां नामित व्यक्ति का विवरण नहीं है, वहां निर्धारित प्रक्रिया के तहत काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि परिषद ने यह भी निर्णय लिया कि बजट में की गयी घोषणा के अनुसार जहां भी विधायी परिवर्तनों की आवश्यकता है, उसमें तेजी लाई जानी चाहिए ताकि सरकार उन मामलों पर अंतिम निर्णय ले सके. सेठ ने बताया कि इस दिशा में हुई प्रगति की वित्त मंत्री प्रत्येक नियामक के साथ इस साल जून में समीक्षा करेंगी.
बता दें, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने फरवरी, 2023 तक बिना दावे वाली करीब 35,000 करोड़ रुपए की राशि रिजर्व बैंक को भेजी थी. यह राशि उन खातों में जमा थी जिनमें 10 साल या उससे अधिक समय से कोई लेन-देन नहीं हुआ. बिना दावे वाली ये राशि 10.24 करोड़ खातों से जुड़ी थी. रिजर्व बैंक ने पिछले महीने कहा था कि तीन-चार महीने में इससे संबंधित एक केंद्रीकृत पोर्टल तैयार किया जाएगा. इससे जमाकर्ता और लाभार्थी विभिन्न बैंकों में पड़ी बिना दावे वाली जमा राशि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. इस बैठक के बाद उम्मीद है जल्द ये पोर्टल तैयार होगा और बिना दावे वाली ये रकम जमाकर्ताओं या उनसे जुड़े लोगों तक पहुंच पाएगी.