दिल्ली के प्रमुख निजी अस्पताल के Covid-19 वैक्सीन के प्रभाव को लेकर अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए सिंगल डोज काफी नहीं है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सर गंगा राम हॉस्पिटल में यह अध्ययन किया गया था. यह स्टडी इसी साल 1 मार्च से 31 मई के बीच सर गंगा राम अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों के बीच कोविड संक्रमण पर आधारित है.
केवल सिंगल डोज से नहीं बनेगी बात
अध्ययन टीम की हेड डॉ. रूमा सात्विक ने बताया कि वैक्सीन की प्रभावशीलता पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि सिंगल डोज संक्रमण से लड़ने में मामूली सुरक्षा प्रदान करता है. कोरोना के गंभीर लक्षण या संक्रमण से पूरी तरह लड़ने में यह काफी नहीं है. अध्ययन के अनुसार, जिन स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन की एक खुराक दी गई थी, 21 दिनों के बाद उनमें रोगसूचक संक्रमण (symptomatic infection) 12.3 प्रतिशत पाया गया. वहीं, जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगी थी, उनमे 13.9 फीसदी रहा.
अध्ययन में पाया गया कि सिंगल डोज वैक्सिनेशन के बाद दो फीसदी लोगों में मध्यम से गंभीर बीमारी विकसित हुई, जबकि 0.7 प्रतिशत को ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता पड़ी. इसकी तुलना में 3.3 पर्सेंट गैर-टीकाकृत स्वास्थ्य कर्मियों में मध्यम से गंभीर बीमारी विकसित हुई. 1.7 फीसद को ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता पड़ी. डेटा से पता चलता है कि वायरस के प्रति संवेदनशीलता पर दोनों समूहों के बीच अंतर काफी कम है.
पूर्ण वैक्सीनेशन के बाद किसी की मृत्यु नहीं हुई
डॉ. सात्विक के मुताबिक, Covid -19 के कारण छह स्वास्थ्य कर्मियों की मृत्यु हो गई. इनमें से पांच का टीकाकरण नहीं हुआ था और एक को टीके की सिंगल खुराक मिली थी. पूरी तरह से टीका लगाए गए स्वास्थ्य कर्मियों में किसी की भी मृत्यु नहीं हुई.
इस अध्ययन में सर गंगाराम अस्पताल में काम करने वाले 4,296 हेल्थ वर्कर्स शामिल किए गए थे. डॉ. सात्विक ने बताया कि कुल स्वास्थ्य कर्मियों में से 2,716 को कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराक दी गई थी, 623 को वैक्सीन की एक खुराक दी गई और 937 को 30 अप्रैल तक टीका नहीं लगाया गया था. 20 अन्य ऐसे लोग थे जिन्हें अध्ययन में शामिल नहीं किया गया था.
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