नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में लिस्टेड कंपनियों में घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी लगातार छठी तिमाही में बढ़ी है. घरेलू निवेशकों में डीआईआई, रिटेल और हाईनेट वर्थ इंडिविजुअल्स शामिल हैं. primeinfobase.com के मुताबिक इन कंपनियों में घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी इस साल 31 दिसंबर 2022 के 24.44 फीसदी से बढ़कर इस साल 31 मार्च को 25.72 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. इस तिमाही के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) से ₹26,211 करोड़ की शुद्ध निकासी के बावजूद, FII की हिस्सेदारी में 0.56 फीसदी की मामूली बढ़त के साथ 20.24 फीसदी हो गई. वहीं प्रमोटर के तौर पर सरकार की हिस्सेदारी घटकर 7.75 रह गई. निजी प्रमोटर्स की हिस्सेदारी घटकर तीन साल के निचले स्तर 41.97 फीसदी पर आ गई.
2023 की पहली तिमाही के दौरान डीआईआई का नेट इनफ्लो ₹83,200 करोड़ रहा. इस दौरान FII ने तेल, गैस और उपभोग्य ईंधन और वित्तीय सेवा क्षेत्रों से ₹35,048 करोड़ निकाले, जबकि सेवाओं और पूंजीगत सामान क्षेत्रों में ₹12,994 करोड़ का निवेश किया. समग्र रूप से बीमा कंपनियों की हिस्सेदारी भी 31 मार्च को 5.87 फीसदी के छह साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई. 31 दिसंबर 2022 को ये 5.65 फीसदी थी. एलआईसी की हिस्सेदारी 31 मार्च 2023 को 3.99 फीसदी हो गई जबकि 31 दिसबंर 2022 को 3.95 फीसदी थी. खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी भी बढ़कर 31 मार्च को 7.48 फीसदी के साथ सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई जबकि हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स की हिस्सेदारी मामूली गिरावट के साथ 1.88 फीसदी हो गई.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गौरक्षकर बताते हैं कि निवेश के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड अच्छे विकल्प साबित हो रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में SIP के ज़रिए इक्विटी में रिकॉर्ड निवेश आया है. एनएसई की कंपनियों में घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ने का ये एक बड़ा कारण है. बता दें AMFI के अनुसार मार्च महीने में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की ओपन एंडेड स्कीमों में निवेश 31 पर्सेंट बढ़ कर 20,534 करोड़ रुपये पर रहा था. यह एक साल का सबसे उच्च स्तर है. फरवरी में इक्विटी फंड्स में कुल 15,657 करोड़ रुपये का इन्फ्लो आया था.