shakumbhari devi : कोरोना काल और लॉकडाउन के बाद सैर-सपाटे के लिए ये समय सबसे अच्छा है. अगर इस समय बेहद कम खर्च में कहीं घूमने का मौका मिल जाए तो कितना अच्छा होगा. ऐसी ही एक जगह है प्रसिद्ध शाकंभरी देवी मंदिर(shakumbhari devi). यहां दूर-दराज से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं. मां शाकंभरी देवी मंदिर पहुंचना बहुत आसान है. सहारनपुर आने वाले बहुत सारे श्रद्धालु शाकंभरी देवी के दर्शन जरूर करते हैं. इस मंदिर का पौराणिक महत्व तो है ही, ऐतिहासिक महत्व भी है. कहा जाता है कि सती का अंग गिरने से 51 शक्तिपीठ बने.
यह मंदिर भी उन्हीं 51 शक्तिपीठों में से एक है. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले यहां यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी देवी का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां सम्राट चंद्रगुप्त और उनके ‘राजनीतिक गुरू’ चाणक्य भी आते थे. उन्होंने यहां सेना का गठन भी किया था.
शाकंभरी देवी मंदिर जाने के लिए पहले आपको सहारनपुर पहुंचना होगा. यहां बस, ट्रेन और अपने निजी वाहन से आसानी से पहुंचा जा सकता है. दिल्ली से सहारनपुर सिर्फ 197 किमी की दूरी पर है. 4 घंटे के सफर में आप मंदिर पहुंच सकते हैं. बस और ट्रेन या अपने निजी वाहन से मंदिर जाने पर आपका खर्चा 5000 रुपए से कम ही आएगा. आप एक दिन में ही सहारनपुर जाकर वापस लौट सकते हैं. फ्लाइट के जरिये पहुंचने के लिए नई दिल्ली नजदीकी एयरपोर्ट पड़ेगा. नई दिल्ली आईजीआई हवाई अड्डे पर उतरकर सहारनपुर के लिए बस या ट्रेन ले सकते हैं. ट्रेन से यहां पहुंचने के लिए आपको सहारनपुर रेलवे स्टेशन उतरना होगा. जहां से टैक्सी या अन्य वाहन से आप माता के मंदिर पहुंच सकते हैं.
सहारनपुर मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर शिवालिक पर्वत श्रृंखला में स्थित सिद्धपीठ मां शाकंभरी देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. माता के मंदिर के पास ही बाबा भूरादेव, छिन्नमस्तिका मंदिर, रक्तदंतिका मंदिर आदि है. मां शाकंभरी देवी को आदिशक्ति का ही स्वरूप माना जाता है. सिद्धपीठ में बने माता के पावन भवन में माता शाकंभरी देवी के अलावा भीमा, भ्रामरी, शताक्षी देवी की प्राचीन मूर्तियां स्थापित है. शाकंभरी देवी का एक अन्य प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान में समभार झील के पास भी है, जबकि एक अन्य बड़ा मंदिर कर्नाटक के बागलकोट जिले के बादामी में भी है.
मान्यता है कि पुरातन युग में जब दुर्गम नाम के राक्षस ने इंद्र, वरुण, पवन आदि देवताओं को बंदी बना लिया था, जिस कारण सृष्टि में अकाल पड़ा था, तब देवताओं ने शिवालिक पर्वत श्रृंखला की प्रथम शिखा पर मां जगदंबा की आराधना की थी. इससे प्रसन्न होकर मां शाकंभरी रूप में अवतरित हुईं और राक्षस का संहार कर अपनी माया से अकाल दूर किया. वहीं मार्कंडेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि शिवालिक पर्वत पर पुरातन काल में मां शक्ति का अंग गिरा था. मान्यता है कि मां भगवती सूक्ष्म रूप में इसी स्थल पर वास करती है. जन श्रुति के अनुसार माता ने धर्म की रक्षा के लिए बलिदान देने वाले भूरादेव को भी वचन दिया था कि जो भी उनके दरबार में आएगा वह सबसे पहले भूरादेव के दर्शन करेगा. प्रियंका गांधी ने भी देवी के मंदिर में मत्था टेकने से पहले भूरादेव का दर्शन किया.
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