सुप्रीम कोर्ट ने फ्यूचर ग्रुप की संपत्ति जब्त करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. फ्यूचर रिटेल और फ्यूचर ग्रुप के प्रमोटर किशोर बियानी को इससे बड़ी राहत मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल जज वाली बेंच ने इसी साल मार्च में फ्यूचर ग्रुप की कंपनियों- फ्यूचर रिटेल और फ्यूचर कूपन की संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया था.
रिलायंस रिटेल में फ्यूचर रिटेल के मर्जर की डील का मामला
अमेजन की अपील पर फ्यूचर ग्रुप के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में चल रही सभी कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने आज रोक लगा दी. एमेजॉन ने सिंगापुर के इमर्जेंसी आर्बिट्रेटर अवॉर्ड को लागू कराने की अपील दिल्ली हाई कोर्ट में थी. अवॉर्ड में फ्यूचर ग्रुप को रिलायंस रिटेल के साथ 24,731 करोड़ रुपए की मर्जर डील करने से रोका गया है. SC ने NCLT, NCLAT, सेबी, CCI सहित सभी प्राधिकरणों को 4 हफ्ते के लिए फ्यूचर-रिलायंस सौदे से संबंधित कोई अंतिम आदेश पारित नहीं करने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो हितों को बैलेंस करने की कोशिश कर रहा है.कोर्ट ने फ्यूचर ग्रुप की याचिका पर नोटिस जारी किया है.
फ्यूचर रिटेल ने की थी जल्द सुनवाई की मांग
3 सितंबर को ही फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक हालिया आदेश के खिलाफ अपनी नई अपील पर सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की मांग की थी. 17 अगस्त 2021 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) और रिलायंस रिटेल के मामले में अगर चार हफ्तों में सुप्रीम कोर्ट से कोई स्टे नहीं मिलता है, तो वह 24,713 करोड़ रुपये के सौदे को आगे बढ़ने से रोकने वाले एकल-न्यायाधीश के आदेश को लागू करेगा. तीन सदस्यीय पीठ ने एफआरएल के वकील से कहा कि वे फाइल देखने के बाद तारीख देंगे.
सिंगापुर के आपात निर्णायक (ईए) द्वारा एफआरएल को सौदे को आगे बढ़ने से रोकने के लिए अमेजन की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने कहा था कि शीर्ष अदालत से किसी भी रोक के अभाव में, उनके पास है 18 मार्च के जस्टिस जेआर मिढ़ा द्वारा पारित आदेश को लागू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. न्यायाधीश ने कहा था कि या तो 18 मार्च के आदेश पर दो से तीन सप्ताह के भीतर स्थगन प्राप्त करें या आदेश का पालन करें. इस अदालत के पास कोई तीसरा विकल्प नहीं है .
Amazon ने फ्यूचर समूह को पिछले साल अक्टूबर में सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एसआईएसी) में मध्यस्थता के लिए घसीटा था और तर्क दिया था कि एफआरएल ने उसके प्रतिद्वंद्वी रिलायंस के साथ सौदा करके उनके अनुबंध का उल्लंघन किया था.
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