कोरोना वैक्सीन की दौड़ में अब रिलायंस (RIL) का नाम भी जुड़ चुका है. रिलायंस लाइफ साइंसेज कंपनी ने कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए एक वैक्सीन तैयार की है जिसकी टेस्टिंग अब इंसानों पर होगी. यह वैक्सीन प्रोटीन आधारित सब यूनिट बेस्ड तकनीक से जुड़ी है. इसी तरह की तकनीक पर हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई फॉर्मा कंपनी ने भी एक वैक्सीन तैयार की है जिसमें आखिरी यानी तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है. इसी कंपनी को हाल ही में भारत सरकार ने 1500 करोड़ रुपये बतौर एडवांस भुगतान भी दिया था.
जानकारी के मुताबिक, मुकेश अंबानी की रिलायंस लाइफ साइंसेज (Reliance Life Sciences) ने वैक्सीन तैयार कर ली है. इसे अभी प्रारंभिक स्तर पर जानवरों पर जांचा गया है. इस जांच के परिणाम शेयर करते हुए कंपनी ने हाल ही में भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (सीडीएससीओ) से अग्रिम ट्रायल की अनुमति मांगी थी.
26 अगस्त गुरुवार को सीडीएससीओ के अधीन एक्सपर्ट्स कमेटी (एसईसी) की बैठक हुई जिसमें रिलायंस को वैक्सीन के पहले चरण का मानव ट्रायल करने की अनुमति देने की सिफारिश की है. पहला चरण पूरा होने और उसके ट्रायल रिजल्ट की समीक्षा करने के बाद ही दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण की मंजूरी दी जा सकती है.
बहरहाल रिलायंस कंपनी को अभी तक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की ओर से अंतिम अनुमति नहीं मिली है. बताया जा रहा है कि यह लिखित अनुमति अगले कुछ दिन में मिल जाएगी. कंपनी ने सरकार को जानकारी दी है कि पहले चरण के तहत दिल्ली, तमिलनाडु और महाराष्ट्र सहित कुछ बड़े राज्यों के 10 से भी अधिक अस्पतालों में परीक्षण किया जाएगा. इस दौरान यह देखा जाएगा कि वैक्सीन सुरक्षित है अथवा नहीं. इसके बाद होने वाले परीक्षणों में यह पता चलेगा कि वैक्सीन कितना फीसदी असरदार है.
अभी तक देश में छह वैक्सीन कोविशील्ड, कोवाक्सिन, स्पूतनिक-5, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनस और जायडस कैडिला की डीएनए जायकोवी-डी वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की अनुमति मिल चुकी है. जबकि अभी चार से पांच वैक्सीन ऐसी हैं जो तीसरे यानी अंतिम चरण के ट्रायल में हैं. इन वैक्सीन को बनाने वाली फॉर्मा कंपनियां अगले एक से दो महीने में कभी भी आपात इस्तेमाल की अनुमति के लिए आवेदन दाखिल कर सकती हैं.
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