भारत के ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (DCGI) ने शुक्रवार को मुकेश अंबानी की रिलायंस लाइफ साइंसेज को कुछ शर्तों के साथ कोविड-19 वैक्सीन के फेज-I क्लिनिकल ट्रायल करने की अंतिम अनुमति दे दी है. उन्होंने कहा कि ट्रायल में प्रोटोकॉल के अनुसार वॉलंटियर्स में वैक्सीन की सुरक्षा, सहनशीलता और इम्युनोजेनेसिटी का मूल्यांकन किया जाएगा.
DCGI ने सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) की दी गई सिफारिशों के आधार पर अनुमति दी है. SEC ने 26 अगस्त को कंपनी के आवेदन पर विचार किया था. ट्रायल महाराष्ट्र में आठ जगहों पर होगा. यह रिकॉम्बिनेंट प्रोटीन-बेस्ड वैक्सीन है. साल 2022 की पहली तिमाही तक इस वैक्सीन के लॉन्च होने की उम्मीद है.
भारत के दवा नियामक ने अब तक छह COVID-19 टीकों के लिए इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन जारी किया है. इसमें सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सिन, जायडस कैडिला की ZyCoV-D, रूस की स्पुतनिक V और अमेरिका की मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन शामिल है.
आने वाले दिनों में भारत को बायोलॉजिकल ई की वैक्सीन कोर्बेवैक्स, जेनोवा बायोफार्मा की HGC019, भारत बायोटेक की इंट्रा नेजल वैक्सीन BBV154 और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की नोवावैक्स मिल सकती है.
हैदराबाद स्थित फार्मास्युटिकल फर्म बायोलॉजिकल ई को 5 साल से अधिक उम्र के बच्चों में CORBEVAX वैक्सीन के चरण II/III स्टडी शुरू करने के लिए DCGI की मंजूरी हाल ही में मिली है. बायोलॉजिकल ई, को वयस्कों में फेज तीन का ट्रायल करने के लिए भी मंजूरी मिली है. ये मंजूरी सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी के फेज I और II के क्लिनिकल ट्रायल डेटा की समीक्षा के बाद दी है. कोर्बेवैक्स एक आरबीडी प्रोटीन सब-यूनिट टीका है.
यह भारत की पहली स्वदेशी mRNA कोविड-19 वैक्सीन है. जेनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स ने इसे बनाया है. वैक्सीन को फेज-1 स्टडी में सुरक्षित पाया गया है. जेनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स ने वैक्सीन के पहले फेज की स्टडी का अंतरिम क्लिनिकल डेटा केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को सौंप दिया है.
COVID-19 की नेजल वैक्सीन BBV154 को भारत बायोटेक विकसित कर रहा है. यह एक इंट्रानेजल रेप्लिकेशन-डिफिशिएंट चिंपैंजी एडिनोवायरस SARS-CoV-2 वेक्टर्ड वैक्सीन है. इसे भारत सरकार की तरफ से कम्बाइन्ड फेज टू और थ्री क्लिनिकल ट्रायल के लिए हरी झंडी मिल चुकी है. वर्तमान में वैश्विक स्तर पर क्लिनिकल डेवलपमेंट के तहत करीब 110 टीकों में से केवल आठ इंट्रानेजल टीके हैं और तीन ओरल टीके. अभी तक इनमें से कोई भी टीका परीक्षण के अंतिम चरण में नहीं पहुंचा है और अधिकांश अभी भी पहले चरण में हैं.
अमेरिका स्थित नोवावैक्स का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ एक वैक्सीन बनाने का समझौता है, जो कोविशील्ड वैक्सीन भी बनाती है. भारत में इसे कोवोवैक्स के नाम से निर्मित किया जा रहा है. नोवावैक्स एक रिकॉम्बिनेंट नैनोपार्टिकल प्रोटीन-बेस्ड वैक्सीन है. पुणे जिले के वधू बुक्रुक विलेज में KEM अस्पताल और रिसर्च सेंटर सोमवार को कोवोवैक्स वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए बच्चों का नामांकन शुरू करेगा.
पुणे जिले के केईएम अस्पताल के अलावा, देशभर में नौ अन्य जगहों पर ट्रायल किए जाएंगे. ट्रायल में कुल 920 बच्चों को शामिल किया जाएगा, जिनमें से आधो की उम्र 12 से 17 साल और बाकी की उम्र 2 से 11 साल होगी. सीरम इंस्टीट्यूट इस वैक्सीन के इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन के लिए करीब एक महीने पहले आवेदन किया था. 25 जून को, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के CEO अदार पूनावाला ने कहा था कि SII ने इस सप्ताह कोवोवैक्स के पहले बैच का निर्माण शुरू कर दिया है.
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