भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) के निजीकरण के लिए कई कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है. सरकार ने इस बात की जानकारी दी है. डिपार्टमेंट और इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट के सेक्रेटरी ने एक ट्वीट में कहा है, “BEML के निजीकरण के लिए कई एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट मिले हैं. यह इस प्रक्रिया का दूसरा चरण शुरू होगा.” जनवरी में सरकार ने कहा था कि BEML में 26 फीसदी हिस्सेदारी DIAPM बेचेगी. बेंगलुरु की कंपनी BEML में सरकार की हिस्सेदारी 54.03 फीसदी है. कंपनी का मैनेजमेंट सरकार के हाथ में है. इसके निजीकरण के लिए बोलियां जमा करने की आखिरी तारीख 1 मार्च थी.
बोली लगाने की योग्यता यह रखी गई थी कि बोली लगाने वाली कंपनी की न्यूनतम नेटवर्थ 1,400 करोड़ रुपये होनी चाहिए.
BEML उन 23 PSU में शामिल है जिन्हें पिछले साल जुलाई में विनिवेश के लिए मंजूरी दी गई थी.
BEML की नींव मई 1964 में रखी गई थी. इसे रेल कंपार्टमेंट और माइनिंग मशीनरी बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी. कंपनी डिफेंस, माइनिंग/कंस्ट्रक्शन और रेलवे जैसे तीन डोमेन में काम करती है.
कंपनी की नौ मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं और इनमें से ज्यादातर देश के दक्षिणी हिस्से में हैं. कंपनी में करीब 6,300 कर्मचारी हैं.
मार्च 2020 में कंपनी ने 68.38 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट हासिल किया था और इसका टर्नओवर 3,028.82 करोड़ रुपये था. BEML के शेयरों की पहली बिक्री 1990 के दशक में हुई थी उस वक्त सरकार ने कंपनी में 25 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री की थी.
23 मार्च को NSE पर BEML के शेयर 2.17 फीसदी गिरकर 1,357 रुपये पर बंद हुए. 2021-22 के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल भर में 1.75 लाख करोड़ रुपये विनिवेश के जरिए हासिल करने का लक्ष्य रखा है.
वित्त मंत्री ने IDBI बैंक, BPCL, शिपिंग कॉर्पोरेशन, कंटेनर कॉर्पोरेशन, नीलाचल इस्पात निगम, पवन हंस और एयर इंडिया की रणनीतिक बिक्री का ऐलान किया था. सरकार इस साल दो सरकारी बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का भी निजीकरण कर सकती है.