Reassessment Notice: आयकर विभाग के पुनर्मूल्यांकन यानी रीएसेसमेंट नोटिसों (Reassessment Notice) के खिलाफ बढ़ती मुकदमेबाजी से निपटने के लिए केंद्र सरकार एक अध्यादेश ला सकती है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार इसके लिए कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है. पिछले कुछ हफ्तों में कई कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा पुराने मानदंडों के तहत आयकर विभाग द्वारा 1 अप्रैल से 30 जून के बीच जारी किए गए नोटिस की वैधता को चुनौती दी है. इसके खिलाफ बड़ी संख्या में दायर की गई रिट याचिकाओं को देखते हुए सरकार अब इस बारे में विचार कर रही है. इन याचिकाओं में यह दलील दी गई है कि आयकर विभाग आयकर अधिनियम, 1961 के पुराने प्रावधानों के तहत टैक्स का नोटिस नहीं दे सकता. इस आधार पर कोर्ट से ऐसे आयकर नोटिसों को रद्द करने की मांग की गई है.
ये है प्रक्रिया
ऐसे मामलों में असेसमेंट ऑफिसर (एओ) को मामले के फिर से मूल्यांकन के लिए “कारणों के रिकॉर्ड के आधार पर” करदाता को एक नोटिस देना होता है.
हालांकि चार साल से अधिक पुराने किसी भी को फिर से खोलने के लिए AO को प्रधान मुख्य आयुक्त/मुख्य आयुक्त/प्रधान आयुक्त/आयुक्त की मंजूरी लेनी होती है.
ऐसे में पुनर्मूल्यांकन की कार्यवाही को अक्सर कोर्ट में इस आधार पर चुनौती दी जाती है कि इस तरह के नोटिस में कानूनी वैधता नहीं है.
इन याचिकाओं में आमतौर पर प्रावधानों का पालन करने में “विफलता” के लिए AO को ही जिम्मेदार ठहराते हुए रीएसेसमेंट से बचने की कोशिश की जाती है.
बड़ी संख्या में ऐसे मामलों में इस आधार पर कोर्ट का फैसला भी याचिकाकर्ता के पक्ष में आ जाता है. इसे देखते हुए ही सरकार अब अध्यादेश लाकर रीएसेसमेंट को मजबूत कानूनी आधार देने पर विचार कर रही है.