रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सरकार की बड़ी चिंता दूर कर दी है. सरकार ने वित्तवर्ष 2022-23 के लिए सरकार ने रिजर्व बैंक और सरकारी बैंकों से डिविडेंड के तौर पर जितनी कमाई का लक्ष्य रखा था, उससे दोगने से भी ज्यादा अकेले रिजर्व बैंक ने ही दे दिया है. केंद्रीय बैंक वित्तवर्ष 2022-23 के लिए डिविडेंट के तौर पर सरकारी खजाने को 87,416 करोड़ रुपए दे रहा है. गुरुवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय निदेशक मंडल की 602वीं बैठक सरकार को यह डिविडेंट देने को मंजूरी दी.
पिछले साल वित्तवर्ष 2022-23 के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से पेश हुए बजट में रिजर्व बैंक और सरकारी बैंकों से डिविडेंट के तौर पर 40 हजार करोड़ रुपए मिलने का लक्ष्य रखा था, और बाद में संशोधित अनुमान में इसे बढ़ाकर 43 हजार करोड़ रुपए कर दिया था, लेकिन अकेला रिजर्व बैंक ही डिविडेंट के तौर पर 87 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा दे रहा है, जो सरकार के अनुमान से दोगुना से भी ज्यादा है. वित्तवर्ष 2023-24 के लिए सरकार ने रिजर्व बैंक और सरकारी बैंकों से डिविडेंड के तौर पर 48 हजार करोड़ मिलने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है.
रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए डिविडेंड से केंद्र सरकार को राजकोषीय घाटे से उबरने में राहत देगी. वित्तवर्ष 2023-24 में वित्तीय घाटा जीडीपी का 5.9 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया है, लेकिन रिजर्व बैंक की तरफ से डिविडेंड में हुई बढ़ोतरी के बाद इसमें कमी आ सकती है.
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब रिजर्व बैंक ने सरकार को इतने बड़े डिविडेंड की घोषणा की हो. वित्तवर्ष 2017-18 के लिए रिजर्व बैंक ने डिविडेंड के तौर पर 1.23 लाख करोड़ रुपए सरकार को दिए थे, डिविडेंड के अलावा रिजर्व बैंक ने अपने सरप्लस से 52,637 करोड़ रुपए भी दिए थे।