दिवाला कंपनियों से दूसरी तिमाही में रिकवरी बढ़कर 33% हो गई है. दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत दिवालिया कंपनियों को दिए गए लोन की रिकवरी में बढ़ोतरी हुई है. सितंबर तिमाही में उनके स्वीकृत दावों के 33 फीसद तक बढ़ गई, जो पिछले तीन महीनों में 29.5% थी. आईबीसी की तरफ से जारी किए ताजा आंकड़ों के अनुसार, छोटे और मध्यम उद्यमों में निवेशकों की रुचि बढने से और श्रेई ग्रुप की परिसंपत्तियों की औसत से अधिक वसूली ने पिछली तिमाही में रिकवरी रेट को बढ़ा दिया. सितंबर तिमाही में लगभग 85 कंपनियों से वसूली 20,771 करोड़ रुपए की वसूली हुई.
आईबीसी ने किये बंपर वसूली
इन कंपनियों की रिकवरी उनके उचित मूल्य के 133.3% के बराबर थी. यानी दिवालिया की कार्यवाही शुरू होने तक संपत्तियों का पर्याप्त मूल्य पहले ही कम हो चुके थे. 2016 के अंत में दिवाला व्यवस्था लागू होने के बाद से पिछली तिमाही में बेहतर वसूली ने समग्र वसूली को बढ़ाकर 3.16 लाख करोड़ रुपए कर दिया. हालाँकि, संचयी आय कंपनियों के उचित मूल्य का 86.31% थी (जब आईबीसी लागू किया गया था) और उनके परिसमापन मूल्य का 168.5% था.
इनसे हुई वसूली
इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (आईबीबीआई) के आंकड़ों से पता चला है कि सितंबर तिमाही के लिए श्रेई ग्रुप की संपत्ति से लेनदारों के स्वीकृत दावों का 41.7% से अधिक प्राप्त हुआ. श्रेय इक्विपमेंट फाइनेंस और श्रेय इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस के 33,050 करोड़ रुपए के स्वीकृत दावों के मुकाबले 13,785 करोड़ रुपए प्राप्त हुए. आईबीसी लागू होने पर रिकवरी कंपनी के उचित मूल्य का 172.7% और उसके परिसमापन मूल्य का 280.7% थी.
अन्य परिसंपत्तियों ( प्रत्येक 200 करोड़ रुपए से अधिक के स्वीकृत दावों के साथ) जिसने सितंबर तिमाही में समग्र वसूली दर को बढ़ाया, उनमें एरेना सुपरस्ट्रक्चर (781 करोड़ रुपए के दावों का 74.1%); सिवाना रियल्टी (459 करोड़ रुपए का 66%), मकर खाद्य उत्पाद (228 करोड़ रुपए का 34.9%); और यूबीएस पब्लिशर्स (221 करोड़ रुपए का 56.2%) शामिल हैं. हालांकि, इन परिसंपत्तियों के उचित या परिसमापन मूल्य के संदर्भ में वसूली बहुत अधिक थी.