कोविड -19 वैक्सीन को लेकर सरकार ने कहा कि वैक्सीनेशन प्रक्रिया के विस्तार में निजी क्षेत्र की भूमिका काफी अहम है. एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारें निजी अस्पतालों के साथ मिलकर काम कर रही हैं ताकि देश भर में वैक्सीनेशन प्रक्रिया में तेजी से आगे बढ़ सके. अधिकारियों के मुताबिक राज्यों को प्राइवेट सेक्टर को प्रेरित करने के साथ-साथ सुविधा प्रदान करने के लिए भी कहा गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि निजी क्षेत्र में टीकाकरण का विस्तार सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैंड-होल्डिंग की जा रही है ताकि आउटरीच व्यापक हो सके.
सरकारी अधिकारियों ने बताया कि सरकार प्राइवेट सेक्टर के साथ मिलकर काम कर रही है, ताकि वैक्सीनेशन प्रक्रिया में तेजी आ सके. इसके साथ ही उपलब्ध वैक्सीन के धीमे उपयोग के बारे में चिंताओं को दूर किया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि अस्पतालों में टीकाकरण की गति तेज हो.
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने कहा कि कुल उपलब्ध वैक्सीन में से 25 फीसद का आवंटन प्राइवेट अस्पतालों के लिए निर्धारित किया गया है. फिलहाल जितनी वैक्सीन आ रही है उनसे टीकाकरण अभियान को तेजी से आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. प्राइवेट सेक्टर की मदद से इसमें और भी तेजी लाने के प्रयास किए जा रहे हैं, हालांकि वैक्सीनेशन की तेजी से बढ़ती रफ्तार से वैक्सीन के स्टॉक की चिंता भी बढ़ गई है.
डर पॉल ने बताया कि अब प्राइवेट सेक्टरों में भी वैक्सीन की व्यवस्थित सप्लाई की जाएगी. इससे वैक्सीनेशन सेंटर्स में बढ़ोतरी के साथ साथ इस मुहिम को एक सकारात्मक दिशा भी मिलेगी. पॉल के मुताबिक यह स्टेट की जिम्मेदारी होगी कि वो वैक्सीन की जरूरत की जानकारी एकत्र करें.
कुछ दिनों पहले ही नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने साफ कर दिया था कि वैक्सीनेशन प्रक्रिया में प्राइवेट सेक्टर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी. डॉ पॉल भारत सरकार की ओर से इस महामारी के लिए गठित टीम के हेड भी हैं. पॉल के मुताबिक फिलहाल देश में लगने वाले टीकों में 20 फीसद निजी कंपनियां ही लगा रही हैं.
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