लोको पायलट शिरिषा गजनी. इस नाम को शायद लोग आज से पहले कम ही जानते होंगे, लेकिन पीएम मोदी (PM Modi) के मुख से उनके लिए निकले शब्दों ने उन्हें पल भर में चर्चित कर दिया. दरअसल, बात उनके नाम से ज्यादा उनके काम की वजह से है.
”मन की बात” में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) उनकी खूब सराहना करते हुए कहते हैं कि सभी माताओं और बहनों को यह सुनकर गर्व होगा कि ऑक्सीजन एक्सप्रेस एक महिला चालक दल द्वारा चलाई जाती रही.
प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि देश की हर महिला को (शिरिषा) आप पर गर्व होगा. केवल वे ही नहीं, हर भारतीय को आप पर गर्व होगा. शिरिषा आप एक शानदार काम कर रही हैं.
आप जैसी कई महिलाएं कोरोना वायरस महामारी के दौरान आगे आईं और देश को बीमारी के खिलाफ लड़ने की ताकत दी. आप नारी शक्ति का एक बेहतरीन उदाहरण हैं.
प्रधानमंत्री मोदी यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा, वाह!… शिरिषा मैं आपके पिताजी-माताजी को विशेष रूप से प्रणाम करता हूं, जिन्होंने तीनों बेटियों को इतनी प्रेरणा दी और उनको इतना आगे बढ़ाया और इस प्रकार का हौसला दिया है.
मैं समझता हूं ऐसे मां-बाप को भी प्रणाम, जिन्होंने इस प्रकार से देश की सेवा भी की और जज्बा भी दिखाया है.
इस दौरान पीएम मोदी को शिरिषा की ओर से भी बताया गया कि उन्होंने कैसे ऑक्सीजन एक्सप्रेस को चलाने के दौरान अपने काम को बड़े मजे से किया और कर रही हैं, जिसमें सेफ्टी, फॉर्मेशन, लीकेज वगैरह कई चीजें शामिल हैं.
पीएम से मन की बात कार्यक्रम में संवाद करने के बाद शिरिषा कहती हैं कि उन्हें कभी नहीं लगा था कि वह पीएम से कभी बात करेंगी.
यह मेरे लिए परिवार के लिए एक गर्व का पल था. लोको पायलट शिरिषा का कहना है कि रेलवे इस समय ऑक्सीजन एक्सप्रेस के लिए ‘ग्रीन कॉरिडोर’ के माध्यम से त्वरित परिवहन कर रही है. मुझे खुशी है कि रेलवे ने मेरे ऊपर लगातार अपना भरोसा जताया है.
बता दें कि लोको पायलट शिरिषा गजनी के अलावा सहायक लोको पायलट अपर्णा एनपी, सहायक लोको पायलट नीलम कुमारी ये तीनों ही महिलाएं आज रेलवे में करियर का सपना देखने वाली कई लड़कियों के लिए, अग्रिम पंक्ति की भूमिकाओं में प्रेरणा के रूप में उभरी हैं.
कोरोना वायरस से लड़ते भारतीयों के बीच जगह-जगह ऑक्सीजन एक्सप्रेस दौड़ाकर प्राणवायु प्रदान करने का वह कार्य लोको पायलट शिरिषा गजनी ने अपनी सहयोगियों के साथ मिलकर किया है, जिस पर पूरे देश को उनकी टीम पर गर्व है.
इस तरह से उन्होंने अब तक अनगिनत लोगों की जान समय पर ऑक्सीजन पहुंचाकर बचाई है.
दक्षिण पश्चिम रेलवे के बेंगलुरु रेल मंडल की महिला लोको पायलट 33 साल की गजनी और उनकी सह-पायलट एन.पी. अपर्णा और नीलम कुमारी ने तमिलनाडु के जोलारपेट्टई से बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड स्टेशन तक 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से छह क्रायोजेनिक कंटेनरों में 120 टन तरल मेडिकल ऑक्सीजन लेकर ट्रेन चलाई.
जिसमें 90 मिनट में 125 किमी की दूरी तय की गई थी, इसके बाद ऐसा नहीं हुआ कि यह एक बार का काम रहा, वे और उनकी टीम अब तक इस कार्य में जुटे हुए हैं.
यहां इसे यदि रेलवे के संदर्भ में देखें, तो महिलाओं के लिए लोको पायलट की नौकरी को सही नहीं माना जाता है. यह एक सामान्य धारणा है, क्योंकि इस कार्य में निरंतर शारीरिक श्रम के साथ ही चौकन्ने रहते हुए मानसिक श्रम भी करना होता है.
कई बार लंबे समय तक उन्हें यात्रा पर रहना पड़ता है और एक ही केबिन में कई-कई घंटे का वक्त गुजारना होता है. अपनी पूरी यात्रा के दौरान रेलवे ट्रैक पर पैनी नजर बनाकर रखनी पड़ती है, जो काफी चुनौतीपूर्ण और मुश्किलों भरा है.
यही कारण रहा होगा, जो इस नौकरी को पहले पुरुषों के लिए रिजर्व रखा जाता रहा और महिलाओं को तैनाती नहीं दी जाती थी, लेकिन अब समय बदल चुका है.
महिलाएं अंतरिक्ष में हैं, आकाश में हैं, जमीन के नीचे हैं, गहरे समुद्र में हैं तो रेलवे ट्रैक पर भी अहम भूमिका में मौजूद हैं.
आज रेलवे में शिरिषा गजिनी ही नहीं आकांक्षा राय, एन.पी. अपर्णा, नीलम कुमारी, कुमकुम सूरज डोंगरे, उदिता वर्मा, ऋचा कुमारी, नूतन कुमारी, नेहा श्रीवास्तव जैसी अनेकों महिला लोको पायलट मौजूद हैं जो हर कठिन समय में रेलवे के लिए आशा की किरण बनकर आगे आती हैं.
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