अरबपति मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली फार्मा फर्म रिलायंस लाइफ साइंसेज जल्द ही अपनी दो डोज वाली कोविड-19 (Corona) वैक्सीन का फेज-1 क्लीनिकल ट्रायल शुरू कर सकती है. मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने रिलायंस के आवेदन की समीक्षा करने के बाद अपनी मंजूरी दे दी. ट्रायल का पहला चरण आमतौर पर अधिकतम सहनशील खुराक (मैक्सिमम टॉलरेटेड डोज) का पता लगाने के लिए 58 दिनों तक रहता है.
SEC की सिफारिशों के बाद, कंपनी को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से अप्रूवल प्राप्त करना आवश्यक है, जिसके बाद ही रिलायंस लाइफ साइंसेज COVID-19 वैक्सीन के पहले चरण का परीक्षण शुरू कर सकती है. इसका ट्रायल भारत में 10 साइटों पर किया जाएगा जिसमें तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली के केंद्र शामिल हैं. फेज वन ट्रायल आमतौर पर 20 से 80 लोगों पर किया जाता है. इसमें वैक्सीन का इम्यून रिस्पॉन्स और सेफ्टी का मूल्यांकन भी किया जाता है. फेज 1 ट्रायल के सक्सेसफुल रहने के बाद ही कंपनी फेज II/III ट्रायल के लिए आगे बढ़ सकती है. फेज II और III के ट्रायल लोगों के एक बड़े ग्रुप पर किए जाते हैं.
रिलायंस की अंडर डेवलपमेंट वैक्सीन एक रिकॉम्बिनेंट प्रोटीन-बेस्ड कोविड-19 वैक्सीन है जो हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई की विकसित कॉर्बेवैक्स वैक्सीन के समान है. रिलायंस ने पिछले साल इसका डेवलपमेंट शुरू किया था और अक्टूबर में वैक्सीन ने प्री क्लीनिकल स्टेज में प्रवेश किया. कोविड वैक्सीन को फर्म की नवी मुंबई फैसिलिटी में डेवलप किया जा रहा है. इस वैक्सीन की कीमत भी काफी प्रतिस्पर्धी होने की उम्मीद है. ये 2022 की पहली तिमाही तक लॉन्च हो सकती है.
रिलायंस लाइफ साइंसेज एक बायोटेक्नोलॉजी प्लेयर है. ये क्रिटिकल केयर में मरीजों के ट्रीटमेंट के प्रोडक्ट के साथ-साथ प्लाज्मा प्रोटीन और कॉम्प्लेक्स मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज का निर्माण करती है. कंपनी अगले साल वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग के लिए अपनी कैपेसिटी को भी बढ़ा रही है. रिलायंस ग्रुप की योजना अपने मौजूदा व्यवसायों – फार्मास्यूटिकल्स, रिटेल और टेक्नोलॉजी को कोविड-19 के लिए उपयोग करने की है. इसके जरिए वो टेस्टिंग किट विकसित करने, टेस्टिंग लेबोरेटरी के ऑपरेशन से लेकर वैक्सीन डेवलपमेंट, मैन्युफैक्चरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन करना चाहती है.
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