दवा कंपनियों ने सरकार से नॉन-शेड्यूल्ड फार्मास्युटिकल्स के दाम 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की अनुमति मांगी है. रिपोर्ट्स के अनुसार, उनका कहना है कि इनपुट कॉस्ट बढ़ी है और उसकी भरपाई करने में इससे मदद मिलेगी. नॉन-शेड्यूल्ड दवाइयों के दाम फिलहाल अधिकतम 10 प्रतिशत तक बढ़ाने की अनुमति है.
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन ड्रग्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IDMA) ने स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, नीति आयोग के फार्मा डिपार्टमेंट सेक्रेटरी और नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) के चेयरमैन को भेजे आवेदन में कहा कि इनपुट कॉस्ट बढ़ने से फार्मा कंपनियों के सामने मुश्किल स्थिति है.
इमर्जेंसी असिस्टेंस की मांग
दवा बनाने वाली कंपनियों ने मांग की है कि उन्हें ‘नॉन-शेड्यूल्ड फॉर्मूलेशन की कीमत अतिरिक्त 10 प्रतिशत बढ़ाने की अनुमति दी जाए.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि IDMA ने बताया कि इनपुट कॉस्ट बढ़ने से सभी कैटेगरी प्रभावित हुई हैं. शुरुआती माल, पैकेजिंग मटीरियल और ट्रांसपोर्टेशन के खर्चे, सब महंगे हो गए हैं.
उनका कहना है कि उन्हें ‘वन-टाइम इमर्जेंसी’ के तौर पर अनुमति दे दी जानी चाहिए. इनपुट कॉस्ट घटने के बाद अतिरिक्त 10 प्रतिशत को फिर से घटाया जा सकता है.