गुजरे वित्त वर्ष करीब दो महीनों तक ट्रेन सेवाएं कोविड आधारित पाबंदियों के चलते बंद रहीं. मार्च से मई 2020 के दौरान स्थानीय और लंबी दूरी समेत सभी ट्रेनें बंद रहीं.
लेकिन, ऐसे भी कई लोग होते हैं जिन्हें महामारी जैसे वक्त में भी नियमों को तोड़ने में शायद मजा आता है. RTI के जरिए मिले एक जवाब से पता चला है कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान बिना टिकट यात्रा करने वालों की तादाद करीब 73% घटकर 27.57 लाख रह गई है. ये आंकड़ा इससे पिछले वित्त वर्ष यानी 2019-20 के दौरान 1.10 करोड़ था.
दूसरी ओर, इस दौरान वसूला गया जुर्माना भी 74.4% घटा है और ये 143.81 करोड़ रुपये पर आ गया है. 2019-20 के दौरान वसूला गया जुर्माना 561.73 करोड़ रुपये था.
बिना टिकट चलने वाले यात्री
बिना टिकट यात्रा करने वाले हमेशा से ही रेलवे के लिए एक बड़ी मुसीबत रहे हैं. रेलवे के प्रवक्ता डी जे नारायण के मुताबिक, “बिना टिकट या अनॉथराइज्ड टिकट के जरिए यात्रा करना रेलवे के लिए एक लंबे वक्त से जारी चुनौती रही है. रेलवे अपनी तरफ से लोगों को ऐसा करने से रोकने के लिए कई तरह के कदम उठाती है.”
लेकिन, 2020-21 के आंकड़े बता रहे हैं कि बिना टिकट यात्रा करने का ट्रेंड खत्म नहीं हुआ है. महामारी के दौर में भी कुछ लोग ऐसे करने से बाज नहीं आ रहे हैं.
तकरीबन 50 दिनों तक कुछ श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को छोड़कर कोई ट्रेन सर्विस जारी नहीं रही. लेकिन, रेगुलर ट्रेन सर्विसेज जनवरी 2021 के दौरान शुरू हुई और इसके तीन महीने के बाद अप्रैल 2021 से इन पर फिर से रोक लग गई.
लॉकडाउन का हाल
पिछले साल जून से लेकर सिंतबर तक सेंट्रल और वेस्टर्न लाइंस पर बिना टिकट रेल में सफर करते हुए 8,577 लोग पकड़े गए थे.
पूर्वी रेलवे के गैर-आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि पिछले साल अप्रैल से सितंबर के दौरान करीब 4,500 यात्री बिना टिकट पकड़े गए हैं. लेकिन, सामान्य वक्त में ये आंकड़ा करीब 20 गुना बड़ा होता है. पूर्वी रेलवे ने अभी तक कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है.
ट्रेंड
2016 से 2020 के दौरान रेलवे ने बिना टिकट सफर करने वाले यात्रियों से 1,938 करोड़ रुपये की वसूली की है. ये 2021 से 2016 की अवधि के मुकाबले 38.57 फीसदी ज्यादा है.
क्या है रेलवे का कानून?
बिना टिकट सफर करते हुए पकड़े जाने पर यात्री को टिकट की कीमत के साथ 250 रुपये जुर्माना देना पड़ता है. अगर यात्री जुर्माना नहीं देता है तो उसे रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) को सौंप दिया जाता है. इन्हें रेलवेज एक्ट के सेक्शन 137 के तहत बुक किया जाता है.
इसके बाद ऐसे शख्स को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है और मजिस्ट्रेट उस पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगा सकते हैं. अगर कोई ये जुर्माना नहीं चुकाता है तो उसे 6 महीने के लिए जेल में डाला जा सकता है.
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