रसोई का प्याज एक अहम हिस्सा है लेकिन अनियिमत मानसून के चलते थाली में इसकी मौजूदगी प्रभावित हो सकती है. अनियमित मानसून के चलते प्याज के भाव दोगुने बढ़ सकते हैं क्योंकि इसकी आवक प्रभावित हो रही है. खरीफ की फसल आने में देरी और तूफान ताउते (Cyclone Tauktae) के चलते स्टॉक में मौजूद प्याज अधिक दिनों तक बनी रहने में सक्षम नहीं है. इन दोनों कारणों के चलते क्रिसिल (Crisil) की रिपोर्ट के मुताबिक प्याज के भाव बढ़ सकते हैं.
अनियमित बारिश के चलते महाराष्ट्र में प्याज की अगली फसल रोपने में दिक्कतें आ रही हैं जिसका देश के कुल खरीफ उत्पादन में 35 फीसदी हिस्सा है. महाराष्ट्र में उत्पादिन होने वाला 37 फीसदी प्याज नासिक में होता है और 30 अगस्त को यहां 33 फीसदी कम बारिश की स्थिति है. पुणे में भी कम बारिश हुई है जहां महाराष्ट्र का 13 फीसदी खरीफ प्याज पैदा होता है. क्रिसिल के मुताबिक सितंबर-नवंबर में मांग के मुताबिक प्याज की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है जो इसके भाव को बढ़ा सकती है.
रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 की तुलना में इस साल भी प्याज की कीमतों में 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की संभावना है. महाराष्ट्र में फसल की रोपाई में आने वाली चुनौतियों के कारण खरीफ 2021 के लिए कीमतें 30 रुपए प्रति किलोग्राम को पार करने की उम्मीद है. हालांकि ये खरीफ 2020 के उच्च आधार के कारण साल-दर-साल (1-5 प्रतिशत) से थोड़ा कम रहेगा.
बारिश की कमी के कारण फसल के आने में होगी देरी
रिपोर्ट में कहा गया है कि बारिश की कमी के कारण फसल के आने में देरी के बाद अक्टूबर-नवंबर के दौरान प्याज की कीमतों के उच्च स्तर पर रहने की संभावना है, क्योंकि रोपाई के लिए महत्वपूर्ण महीना, अगस्त में मानसून की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. क्रिसिल रिसर्च को उम्मीद है कि खरीफ 2021 का उत्पादन साल-दर-साल तीन प्रतिशत बढ़ेगा. हालांकि महाराष्ट्र से प्याज की फसल देर से आने की उम्मीद है, अतिरिक्त रकबा, बेहतर पैदावार, बफर स्टॉक और अपेक्षित निर्यात प्रतिबंधों से कीमतों में मामूली गिरावट आने की उम्मीद है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल इसी त्योहारी सीजन में प्याज की कीमतें 2018 के सामान्य वर्ष की तुलना में दोगुनी हो गई थीं, जो मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में खरीफ फसल को नुकसान पहुंचाने वाले भारी और अनिश्चित मानसून की वजह से आपूर्ति में व्यवधान के कारण हुआ था. मानसून की अनिश्चितता से अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत तक बाजार में खरीफ प्याज की आने में 2-3 सप्ताह की देरी होने की उम्मीद है, इसलिए कीमतों में तब तक बढ़ोतरी की संभावना है. सरकार ने प्याज की कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं, जिसमें वित्त वर्ष 2022 के लिए प्याज के लिए निर्धारित दो लाख टन का बफर स्टॉक शामिल है.
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