Land Property: जब भी किसी जमीन (Land Property) को खरीदने की बात आती है तो सबसे पहले हमें उसके कानूनी पहलू से दो-चार होना पड़ता है, ये देखने के लिए कि कहीं कोई जमीन कानूनी विवाद में तो नहीं है? लेकिन अब निश्चिन्त हो जाइये आने वाले कुछ दिनों में आपको इस झंझट से भी छुटकारा मिल जाएगा. आप घर बैठे ही आसानी से इसका पता लगा सकेंगे. केंद्र सरकार जल्द ही ई-अदालतों को लैंड रिकॉर्ड से जोड़ने वाली है. इससे भू-संपत्ति के रजिस्ट्रेशन में अब और आसानी आ जाएगी.
न्यायिक विभाग के मुताबिक, ई-अदालतों को लैंड रिकॉर्ड से जोड़ने के पीछे का उद्देय भू-संपत्ति से जुड़े मामलों में ट्रांस्पिरेन्सी यानि पारदर्शिता लाना है. इसके साथ कमर्शियल मामलों का फास्ट ट्रैक निपटारा भी इसका एक उद्देश्य है. आसान शब्दों में कहें तो इस योजना से यह पता लगाना और आसान हो जाएगा कि जिस जमीन को खरीदने की योजना आप बना रहे हैं उस पर कोई कानूनी विवाद तो नहीं है. इससे संदिग्ध लेनदेन में कमी आएगी. अभी तक उत्तर प्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र में ई-अदालतों को लैंड रिकॉर्ड से जोड़ने की शुरुआती (पायलट) परियोजना पूरी हो गई है, जल्द ही इसे देशभर में भी शुरू किया जाएगा.
संपत्ति विवादों का जल्द निपटारा हो इसके लिए न्यायिक विभाग ने पहले ही देश के सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से लैंड रिकॉर्ड और रजिस्ट्रेशन डेटाबेस को ई-अदालतों और राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड से जोड़ने के लिए राज्य सरकारों को मंजूरी देने का अनुरोध किया है. अभी तक आठ हाई कोर्ट ने जवाब दे दिए हैं. इनमें असम, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं.
@DoJ_India has received responses from High Courts to accord clearance for enabling nationwide launch of linking of #eCourts with land records and registration database w.r.t. 8 States viz. Assam, Arunachal Pradesh, H. P., M.P., Mizoram, Nagaland, Rajasthan &Tripura.@EODB_India pic.twitter.com/3K5LI7zypj
— Department of Justice-India (@DoJ_India) June 26, 2021
दरअसल, इस साल अप्रैल महीने में न्यायिक विभाग ने राज्यों को जो लेटर भेजे थे उसमें कहा गया था कि संपत्ति का आसान और पारदर्शी तरीके से रजिस्ट्रेशन करना उन मानकों में से एक है जिसके आधार पर वर्ल्ड बैंक कारोबार करने की सुगमता के सूचकांक पर 190 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के प्रदर्शन का आकलन करता है. लेटर में बताया गया है कि लैंड रजिस्ट्रेशन को आसान बनाने के लिए ई-अदालतों को लैंड रिकॉर्ड और रजिस्ट्रेशन डेटाबेस से जोड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के साथ एक और समिति बनाई गई है.
इसके पीछे ये तर्क दिया गया है कि अगर किसी जमीन/भूखंड की कानूनी स्थिति का सही तरीके से पता चलता है और खरीदार को इसकी जानकारी दी जाती है तो इससे यह पता लग सकेगा कि इस जमीन पर पहले से कोई विवाद तो नहीं है.
(PBNS)
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