साबुन से लेकर शर्ट और परफ्यूम से लेकर पर्दे, जरूरत का हर छोटा-बड़ा सामान, बजट आइटम्स से लेकर लग्जरी प्रोडक्ट, सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध है. ई-कॉमर्स मार्केट देश में काफी तेजी से बढ़ रहा है. एफआईएस 2023 ग्लोबल पेमेंट्स रिपोर्ट के मुताबिक भारत का ई-कॉमर्स मार्केट 2022 में 83 अरब डॉलर का था जो 2026 तक बढ़कर 150 अरब डॉलर का हो जाएगा.
बढ़ते बाजार के साथ ई-कॉमर्स की दुनिया में कई दिक्कतें भी सामने आई हैं. जैसे बाजार में कुछ कंपनियों का एकाधिकार. इन दिक्कतों को दूर करने के मकसद से ही सरकार ने ई-कॉमर्स पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. इसे जल्द ही लागू करने की तैयारी है. ड्राफ्ट में ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए एक समान नियम बनाए गए हैं. जो नियम अमेजन पर लागू होंगे. वही नियम भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी पर भी लागू होंगे. ई-कॉमर्स कंपनियों को उनके प्लेटफॉर्म पर सामान बेचने वाली किसी कंपनी में हिस्सेदारी लेने पर रोक लगेगी और कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर अपने खुद के प्रोडक्ट्स भी नहीं बेच पाएंगी. इससे अमेजन और फ्लिपकार्ट का एकाधिकार खत्म होगा. और भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धा के लिए एकसमान बाजार उपलब्ध हो सकेगा.
सभी के लिए समान अवसर ई-कॉमर्स भारत के इकोनॉमिक ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए एक जरूरी सेक्टर के तौर पर उभर रहा है. इसकी क्षमता को ध्यान में रखते हुए सरकार बदलते ई-कॉमर्स स्पेस पर करीबी नजर रख रही है. इसी को देखते हुए ही वह मान रही है कि ई-कॉमर्स स्पेस को एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की जरूरत है जिससे खरीद, बिक्री, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन जैसी गतिविधियों की सुरक्षा की जाए और सबके लिए समान अवसर पैदा किया जाएं.
क्या है विवाद? नई ई कॉमर्स पॉलिसी का मकसद सभी सेलर्स के लिए लेवल प्लेइंग फील्ड तैयार करना है. इस पॉलिसी से ई-कॉमर्स साइट्स के अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद सेलर्स की ओनरशिप रखने पर रोक लगने के अलावा ये भी इंश्योर होगा कि कंज्यूमर्स को एक उचित एवं पारदर्शी तरीके से प्रोडक्ट कैटेलॉग और प्रोडक्ट सर्च के रिजल्ट्स दिखें. क्योंकि ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि अमेजन और फ्लिपकार्ट कुछ सेलर्स को तरजीह दे रही हैं, उनके प्रोडक्ट ही सर्च रिजल्ट्स में सबसे ऊपर दिखते हैं.. साथ ही इन ई-कॉमर्स कंपनियों के अपने खुद के इन-हाउस ब्रांड्स भी हैं. इन इन-हाउस ब्रांड्स को लेकर भी काफी विवाद रहा है. चूंकि इन दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियों के पास कंज्यूमर का पूरा डेटा है, उनके पास कंज्यूमर की पसंद, न पसंद, बजट जैसी तमाम जानकारी है. इसी के आधार पर वे अपने ब्रांड ला रही हैं. उन्हें भी सर्च रिजल्ट्स में सबसे ऊपर रख रही हैं. फ्लिपकार्ट और अमेजन दोनों ही कंपनियां इस समय अपने अलग-अलग ब्रांड के तहत तमाम प्रोडक्ट्स बेच रही हैं, जिनमें एसी, वॉशिंग मशीन से लेकर खाने का तेल और कपड़े सभी शामिल हैं.
आखिर में कंज्यूमर के फायदे की बात करें तो छोटे सेलर्स के प्रोडक्ट्स को बराबरी का मौका मिलने पर कंज्यूमर को भी फायदा होगा. बाजार में कुछ ही कंपनियां का जो वर्चस्व है, उसे चुनौती मिली तो भी कंज्यूमर को फायदा होगा क्योंकि बाजार में जितना कॉम्पिटिशन होगा, कीमत, क्वालिटी आदि के मोर्चे पर उतना ही सुधार होगा. सीधे तौर पर इस कवायद का ग्राहक को फायदा होगा.
https://www.youtube.com/watch?v=iN01mZ8g1x4&list=PLg1pohlUrzIdqDwLRQQEq3Eij4vzMRe-M&index=2
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।