अनाज, खाद्य तेल और गैस की महंगाई में रसोई पहले से ही तप रही. अब महंगे मसालें भी जायका बिगाड़ रहे. सालभर में मसालों की महंगाई तेजी से बढ़ी है. धनिए के भाव करीब ढाई गुना बढ़ गए. लाल मिर्च के दाम में 50 फीसद का उछाल आ गया. जीरा, सौफ, मेथीदाना के भाव में भी अप्रत्याशित तेजी है. पिछले हफ्ते जारी हुए खुदरा महंगाई के आंकड़े भी यह तथ्य उगल रहे हैं. सब्जी और तेल के साथ मसालों की महंगाई भी दहाई की दहलीज पार कर चुकी है.
अब समझिए इस तेजी की वजह. इस साल अधिकतर मसालों की उपज पिछले साल के मुकाबले कम रहने का अनुमान है. जिस वजह से सप्लाई प्रभावित होने की आशंका है. इसी आशंका की वजह से कीमतें बढ़ रही है. इस साल धनिया उत्पादन में करीब 80 हजार टन कमी का अनुमान है जबकि जीरा उत्पादन भी करीब 70 हजार टन घट सकता है. लाल मिर्च, अजवाइन और छोटी इलायची की उपज भी कम आंकी गई है.
मसालों के उत्पादन का यह अनुमान मार्च में जारी हुआ था. तब तक गर्मी की मार से फसल को हुए नुकसान का आकलन नहीं हुआ था. ऐसी आशंका है कि मार्च में उत्पादन को लेकर जो अनुमान जारी हुआ था. फसल उससे भी कम है. यह आशंका अगर सच साबित होती है. तो मसालों की सप्लाई और भी ज्यादा प्रभावित हो सकती है.
इसके अलावा इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कोरोना काल में भारतीय मसालों की मांग दुनियाभर में बढ़ी है. जिस वजह से ऊंची कीमत पर विदेशों में मसालों का निर्यात हो रहा है. यह बढ़ी हुई विदेशी मांग मसालों की कीमतों को और हवा दे रही है. पिछले साल अप्रैल से दिसंबर के दौान देश से 3.1 अरब डॉलर के लगभग 12 लाख टन मसालों का निर्यात हुआ है. इस निर्यात में अधिकतर हिस्सेदारी लाल मिर्च, जीरा, हल्दी, सूखे अदर, धनिया और सौंफ की है.
मसाले सरकार की उस जरूरी वस्तुओं वाली लिस्ट में भी नहीं आते. जिसमें गेहूं और तेल शामिल हैं. यानी वे वस्तुएं जिनकी कीमत. थोड़ी भी बढ़े. तो सरकार तुरंत हरकत में आ जाती है. आटा कहीं ज्यादा महंगा न हो जाए. इसके लिए सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है. साथ में खाने के तेल का आयात बढ़ाने के लिए कई तरह के शुल्क खत्म कर दिए हैं. लेकिन मसालें क्योंकि उस लिस्ट में नहीं आते. ऐसे में इनकी कीमत को घटाने के लिए सरकार की तरफ से जल्द कोई कदम उठाए जाने की उम्मीद कम ही है. यानी मसालों की महंगाई लंबे समय तक खाने का जायका बिगाड़ सकती है.