GST व्यवस्था के तहत पेट्रोल और डीजल को लाना अगले 8-10 साल तक मुमकिन नहीं होगा क्योंकि कोई भी राज्य इस मद से मिलने वाले 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के राजस्व का नुकसान झेलने के लिए तैयार नहीं है. बीजेपी के सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में यह बात कही है.
फाइनेंस बिल के समर्थन में बोलते हुए बिहार के पूर्व वित्त मंत्री ने विपक्ष को चुनौती दी कि वह इस मसले को GST काउंसिल में उठाए. उन्होंने कहा कि गैर-बीजेपी शासित राज्य के किसी भी मुख्यमंत्री या वित्त मंत्री ने GST काउंसिल में किसी भी फैसले का विरोध नहीं किया है.
मोदी ने कहा कि केंद्र और राज्यों ने पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर कुल मिलाकर 5 लाख करोड़ रुपये का टैक्स इकट्ठा किया है. पिछले एक साल में पेट्रोल की कीमतों में जिस तरह से उछाल आया है उससे पेट्रोल के दाम कई जगहों पर 100 रुपये के पार चले गए हैं. इसके चलते विपक्षी पार्टियां लगातार सरकार को घेर रही हैं. इन पार्टियों की मांग है कि सरकार को पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाना चाहिए.
एक दिन पहले ही मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा था कि वे GST काउंसिल की मीटिंग में पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं.
ससुशील मोदी ने कहा है कि विपक्षी पार्टियों के नेताओं के लिए बाहर कोई भी बयान देना आसान है, लेकिन वे ये मसले GST काउंसिल की मीटिंग में नहीं उठाती हैं.
मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फाइनेंस बिल 2021 पर लोक सभा में चर्चा के दौरान कहा था कि अगर ज्यादा टैक्स को लेकर चिंता है और राज्य इसपर चर्चा के लिए तैयार हैं तो GST काउंसिल की अगली बैठक में अगर इस पर चर्चा होती है तो सरकार इसका स्वागत करेगी और अपने एजेंडा में भी इसे शामिल करेगी.
उन्होंने ये भी कहा कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर चिंता होना जायज है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि इसपर चर्चा करना और काउंसिल में इसे उठाना राज्यों को ही करना होगा.