पूंजी बाजार नियामक सेबी ने गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) के लिए वित्त जुटाने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए मंगलवार को सोशल स्टॉक एक्सचेंजों के नियामकीय ढांचे में लचीलापन लाने का प्रस्ताव रखा. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने एक परामर्श पत्र में एनपीओ के लिए न्यूनतम निर्गम आकार के साथ आवेदन आकार की सीमा को कम करने का सुझाव भी दिया है.
एनपीओ का एसएसई के साथ पंजीकृत होना जरूरी
इसके अलावा सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंजों (एसएसई) पर पंजीकरण के लिए जरूरी कुछ शर्तों में बदलाव करने की बात भी कही है. एनपीओ के खिलाफ आयकर का कोई नोटिस या जांच लंबित न होने की व्यवस्था खत्म करने और सोशल ऑडिटर की जगह ‘सामाजिक प्रभाव मूल्यांकनकर्ता’ शब्दावली का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है. धन जुटाने के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन (एनपीओ) का एसएसई के साथ पंजीकृत होना जरूरी है. फिलहाल दोनों एक्सचेंज के साथ इस खंड में 31 एनपीओ ने अपना पंजीकरण कराया हुआ है.
नियामक ने ‘जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल’ (जेडसीजेडपी) बॉन्ड जारी करने वाले एनपीओ के लिए न्यूनतम निर्गम की सीमा को एक करोड़ रुपए से घटाकर 50 लाख रुपए करने का सुझाव दिया है. इसके साथ ही जेडसीजेडपी के सार्वजनिक निर्गम में न्यूनतम आवेदन की सीमा को भी दो लाख रुपए से घटाकर 10,000 रुपए करने का प्रस्ताव रखा गया है. सोशल स्टॉक एक्सचेंज की संकल्पना वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में पहली बार पेश की गई थी. एसएसई के लिए नियामकीय ढांचा वर्ष 2022 में सेबी ने तय किया था. सेबी ने अपने परामर्श पत्र पर 19 सितंबर तक सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं.