उत्तर प्रदेश के प्रमुख क्षेत्र नोएडा के विकास के लिए अब नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण साथ मिलकर तैयारी करेंगे. इसको लेकर इंडस्ट्रियल कमिश्नर ऑफ़ डिवलपमेंट मनोज कुमार सिंह ने नोएडा अथॉरिटी की बोर्ड बैठक में तीनों अथॉरिटी के अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं. आईडीसी ने निर्देश दिया है कि तीनों शहरों की इंटीग्रेटेड प्लानिंग की जाए. प्लानिंग में ट्रैफिक कनेक्टिविटी, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, सड़क निर्माण को शामिल किया जाएगा. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि शासन बिल्डर-बायर से जुड़े मुद्दों से लेकर उद्योगों के विकास के लिहाज से तीनों अथॉरिटी में सामंजस्य और योजना बनाने में एकरूपता ला सके.
मौजूदा समय में तीनों प्राधिकरण अलग-अलग योजनाएं तैयार करते हैं. इसका क्या असर होता है इसे एक उदाहरण से समझिए. साल 2020 में जब नोएडा प्राधिकरण ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की मरम्मत और अंडरपास बनाने का काम शुरू किया तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने इस तरफ़ ध्यान नहीं दिया. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के हिस्से में इस एक्सप्रेस वे का 4 किलोमीटर का हिस्सा आता है और इस हिस्से के काम में देरी हुई. इससे आम लोगों को परेशानी हुई. अगर प्राधिकरण साथ मिलकर काम करते तो ये काम जल्दी हो जाता और खर्च में भी कमी आती. कई बार ये भी देखने में आया है कि तीनों ही प्राधिकरण एक साथ एक तरह के प्लॉट्स की योजना ले आते हैं तो इस तरह के दोहराव से भी बचा जा सकेगा और कुछ नई योजनाओं पर काम हो सकेगा. इसके अलावा एक शहर की सीख को दूसरे शहर में अमल में लाया जा पाएगा. तीनों प्राधिकरणों के साथ आने से नोएडा के विकास में तेज़ी आएगी. चूंकि नोएडा राज्य और देश का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है तो यहां तेज़ी से होने वाला विकास बड़ी कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करेगा.