नया लेबर कोड इस साल 1 अप्रैल से लागू होना था, लेकिन केंद्र ने फिलहाल इसे टाल दिया है. इस बिल के हाल-फिलहाल में लागू होने के आसार कम ही जान पड़ रहे हैं. इसके पीछे एक बड़ी वजह कोविड-19 की दूसरी लहर के चलते पैदा हुई अनिश्चितता भी है. कोरोना महामारी के बुरे दौर में भले ही हर कोई परेशान है, लेकिन एंप्लॉयीज के लिए लेबर कोड (New Labour Code) का टाला जाना एक अच्छी खबर है. इस कोड में भत्तों को सीटीसी के 50 फीसदी पर सीमित रखे जाने के नियम से कंपनियां रियायत मांग रही हैं. अगर सरकार इस मांग को मान लेती है तो कर्मचारियों को फायदा होगा.
इससे एंप्लॉयीज को हाथ में मिलने वाली सैलरी में कोई कमी नहीं आएगी. ऐसे वक्त पर जबकि कोविड का खतरा तेजी से फैल रहा है, एंप्लॉयीज के लिए यह एक अच्छी खबर है.
दूसरी ओर, कंपनियां भी अभी इसे लागू करने के लिए तैयार नहीं हैं. अब कंपनियों को अपने कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर को नए लेबर कानून (New Labour Code) के हिसाब से तैयार करने के लिए वक्त मिल जाएगा.
कोविड महामारी की दूसरी लहर के चलते तमाम कंपनियों का कामकाज फिर से पटरी से उतरने लगा है.
खबरों के मुताबिक, कंपनियों ने सरकार से मांग की है कि वह लेबर कोड में भत्तों के कंपोनेंट को 50 फीसदी पर सीमित करने के फैसले से कंपनियों को रियायत दे.
कंपनियों का कहना है कि नए लेबर कोड में बनाए गए नियमों से उन्हें वित्तीय रूप से नुकसान होगा. कई इंडस्ट्री एसोसिएशंस ने भी राज्यों में वेज कोड (Wage Code) में किए गए प्रावधानों से रियायत दिए जाने की मांग की है.
नए लेबर कोड में सबसे अहम एंप्लॉयी सैलरी में भत्तों को सीटीसी के 50 फीसदी पर सीमित रखने का नियम है. इसका मतलब है कि किसी भी एंप्लॉयी की बेसिक सैलरी उसकी सीटीसी की 50 फीसदी होनी चाहिए.
नए लेबर कोड के लागू होते ही कंपनियों को इस नियम को कर्मचारियों की सैलरी में लागू करना होगा. मौजूदा वक्त में ज्यादातर कंपनियां एंप्लॉयीज को सीटीसी का 50 फीसदी बेसिक सैलरी के तौर पर नहीं देती हैं.
इस बात की आशंका है कि नए कानून के आने के बाद कर्मचारियों की हाथ में आने वाली तनख्वाह में कमी आएगी. आपकी सीटीसी का अगर 50 फीसदी बेसिक सैलरी होगी तो इसमें से प्रोविडेंट फंड के लिए जाने वाला पैसा बढ़ जाएगा. बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा प्रोविडेंट फंड में निवेश होता है जो रकम रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए जाती है – यानी 15 साल का लॉक-इन. बेसिक सैलरी बढ़ी तो PF में जाने वाला पैसा भी ज्यादा होगा और हाथ में जो सैलरी आएगी वो घट जाएगी.
ऐसे में अगर ये लेबर कोड (New Labour Code) कुछ वक्त तक टाल दिया जाता है या फिर जैसी कि कंपनियां मांग कर रही हैं, अगर उन्हें भत्तों को 50 फीसदी की सीमा पर रखने में सरकार की तरफ से रियायत दी जाती है तो कर्मचारियों को इससे फायदा हो सकता है.
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