गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां यानी NBFCs चाहती हैं कि रिजर्व बैंक उन्हें ग्राहकों से ज्यादा डिपॉजिट लेने की छूट दें. इसके लिए इन कंपनियों ने पिछले महीने रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास से गुहार लगाई है. अगस्त में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEO) ने RBI गवर्नर के साथ हुई एक बैठक में यह अनुरोध किया था. बैठक में RBI के और भी शीर्ष अधिकारी मौजूद थे.
रिपोर्ट के मुताबिक 25 अगस्त को हुई बैठक में रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने कहा कि एनबीएफसी को बैंकों से उधार लेने पर अपनी बढ़ती निर्भरता कम करनी होगी. पिछले कुछ वर्षों से ऐसी एनबीएफसी की संख्या में काफी कमी आई है जो डिपॉजिट लेती हैं. जहां मार्च 2015 में ऐसी एनबीएफसी की संख्या 220 थी, मार्च 2022 में ये घटकर 49 हो गई. इसके उलट हाल के वर्षों में बिना डिपॉजिट के काम करने वाले एनबीएफसी की संख्या बढ़ी है. जहां मार्च 2019 में इनकी संख्या 263 थी और मार्च 2023 में ये बढ़कर 422 हो गई.
आरबीआई ने पिछले 15 वर्षों से किसी भी नई एनबीएफसी को लोगों से जमा स्वीकार करने की मंजूरी नहीं दी है. बैठक में शामिल एक सूत्र ने बताया कि आरबीआई के एनबीएफसी को बैंकों से उधार लेने पर अपनी बढ़ती निर्भरता कम करने की बात कहने पर, एनबीएफसी के अधिकारियों ने मांग की कि उनके लिए पब्लिक डिपॉजिट लेने का विकल्प उपलब्ध कराया जाए.
2017 के बाद एनबीएफसी की बैंकों से उधारी करीब तीन गुना बढ़ गई है. जहां मार्च 2017 में ये उधारी 3,130 अरब रुपए थी, सितंबर 2022 में ये बढ़कर 9,240 अरब रुपए हो गई. जिन एनबीफसी को लोगों से जमा लेने की मंजूरी है, उनके पास मार्च 2017 में 30,600 करोड़ रुपए का पब्लिक डिपॉजिट था जो सितंबर 2022 में बढ़कर 71,640 करोड़ रुपए हो गया.